सिटी ब्यूटीफुल में 'अपने घर' का सपना हुआ मुश्किल, डिमांड सर्वे शुरू
हाउसिंग बोर्ड की योजना 10 से 50 हजार परिवारों के लिए सस्ते फ्लैट बनाने की है। फ्लैट पांच मंजिला होंगे, लेकिन ये कहां बनेंगे यह अभी फाइनल नहीं हुआ है।
चंडीगढ़, [संजीव सलारिया]। शहर की आबादी के लिहाज से सबके लिए 'अपना घर' का सपना पूरा करना मुश्किल है। सस्ते फ्लैट के लिए चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने डिमांड सर्वे शुरू किया है। सर्वे चार वर्गों में किया जा रहा है।
इडब्ल्यूएस, एलआइजी, एमआइजी और एमआइजी-2 सर्वे के तहत अब तक 85,000 आवेदन हो चुके हैं। बोर्ड की योजना 10 से 50 हजार परिवारों के लिए सस्ते फ्लैट बनाने की है। फ्लैट पांच मंजिला होंगे, लेकिन ये कहां बनेंगे यह अभी फाइनल नहीं हुआ है। बोर्ड के मुख्य अधिकारी मनिंदर सिंह बैंस के अनुसार पहले चरण में 600 एकड़ भूमि पर फ्लैट बनाने की योजना है। जनगणना विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में शहर की आबादी 19.5 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। शहर में 2.65 लाख परिवार एक कमरे के फ्लैट में रह रहे हैं। तीन लाख परिवार किरायेदार हैं और उन्हें सस्ते फ्लैट की तलाश है।
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लाल डोरा विवाद अनसुलझा
शहर के गांवों में लाल डोरा का विवाद अभी अनसुलझा है। अभी तक 13 गांवों को नगर निगम में शामिल करने के प्रस्ताव पर अमल नहीं हुआ है। प्रशासन ने गांवों की एग्रीकल्चर लैंड में बसे परिवारों को भी जगह खाली करने के नोटिस जारी कर रखे हैं। धनास में मार्बल मार्केट के पीछे पंद्रह साल से बसी कच्ची कालोनी के एक हजार परिवारों को नोटिस जारी किए हैं। डीसी कम एस्टेट आफिसर अजीत बालाजी जोशी की ओर से जारी नोटिस में उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया है।
शुक्रवार को करीबन 100 परिवारों ने डीसी कार्यालय को स्थिति से अवगत करवाया। कंवलजीत सिंह, अनिल कुमार, ईशा अरोड़ा और जकी खान ने बताया कि जिस जगह पर वे रह रहे हैं वह यूटी प्रशासन की नहीं है। कच्ची कालोनी भी किसानों की जमीन पर बसी है। वह हर माह किसानों को किराया दे रहे हैं। संपदा विभाग के सूत्रों ने कहा कि एग्रीकल्चर लैंड पर आबादी कानून का उल्लंघन है। कालोनी हटायी जानी चाहिए। संपदा विभाग परिवारों का पक्ष जानने के बाद आगे कार्रवाई करेगा।
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