किसान कर्ज माफी पर भ्रम की स्थिति में सरकार, सीएम और मंत्रियों की कथनी में अतंर
कर्ज माफी को लेकर हक कमेटी की रिपोर्ट पर सीएम ने कहा कि उन्हें हक कमेटी की रिपोर्ट दो दिन पूर्व ही मिल गई है। जबकि सिद्धू और मनप्रीत बादल ने इससे इंकार किया।
जेएनएन, चंडीगढ़। किसान कर्ज माफी को लेकर पंजाब सरकार में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। एक तरफ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कह रहे हैं कि उनके पास हक कमेटी की रिपोर्ट पहुंच गई है, जबकि उनकी कैबिनेट के मंत्रियों व मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट अभी नहीं आई है।
कर्ज माफी को लेकर हक कमेटी की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री ने उस समय सियासी भ्रम पैदा कर दिया जब उन्होंने कहा कि हक कमेटी की रिपोर्ट उन्हें दो दिन पूर्व ही मिल गई है। इस को पढ़कर किसानों के हित में उचित फैसले लिए जाएंगे। अहम बात यह है कि मुख्यमंत्री के इस बयान के ठीक आधे घंटे बाद जब वित्तमंत्री मनप्रीत बादल से कमेटी की रिपोर्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि रिपोर्ट अभी नहीं आई है। संभवत: दो दिन और लग सकते हैं। पंजाब भवन में इसी मौके पर स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिद्धू ने भी मनप्रीत के बयान की पुष्टि की। उन्होंने भी कहा कि रिपोर्ट अभी नहीं आई है।
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मुख्यमंत्री जहां रिपोर्ट दो दिन पहले मिल जाने की बात कर रहे हैं वहीं मुख्यमंत्री कार्यालय के ही वरिष्ठ अधिकारी रिपोर्ट मिलने से इन्कार कर रहे हैं। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो जाता है कि आखिर हक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को कब सौंपी। 17 अगस्त को डा. टी हक ने अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन सेहत ठीक न होने के कारण वे पंजाब नहीं पहुंचे।
सूत्र बताते हैं कि कमेटी के मेंबर कनवीनर बलविंदर सिंह सिद्धू रिपोर्ट लेने के लिए दिल्ली चले गए हैं जोकि रिपोर्ट को लाकर मुख्यमंत्री को सौंपेंगे। कमेटी की रिपोर्ट को सरकार काफी महत्वपूर्ण मान रही है। इसी रिपोर्ट के आधार पर किसान कर्ज माफी का ब्लू प्रिंट तैयार वह करेगी। माना जा रहा है कि 24 अगस्त को होने वाली संभावित कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी दी जा सकती है।
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जेटली से फिर मिल सकते हैं कैप्टन
कैबिनेट बैठक से पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली जाकर पुन: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिल सकते हैं ताकि 10 हजार करोड़ रुपये के कर्ज के लिए केंद्र से वित्तीय जिम्मेवारी और बजट प्रबंध (एफआरबीएम) एक्ट 2003 में छूट देने की पुन: अपील की जा सके। अगर केंद्र छूट नहीं देता है तो 9,500 करोड़ रुपये के कर्ज माफी के प्रारूप को झटका लग सकता है।
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