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    कर्ज माफी से मुसीबत, बैंकों काे फंड नहीं बाजार से लाेन की गारंटी देगी सरकार

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Sat, 22 Jul 2017 10:15 AM (IST)

    पंजाब में किसानों की कर्ज माफी से बैंक परेशानी में पड़ गए हैं। पंजाब सरकार ने कर्ज माफी की भरपाई के लिए फंड देने की बजाय बैंकों को बाजार से कर्ज लेने का सुझाव दिया है।

    कर्ज माफी से मुसीबत, बैंकों काे फंड नहीं बाजार से लाेन की गारंटी देगी सरकार

    चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार की ओर से किसानों के कर्ज माफी की घोषणा ने बैंकों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। किसानों ने बैंकों को कर्ज की किश्त देना बंद कर दी है। वहीं बैंकों की समस्या इतनी बढ़ गई है कि वे अपने लैंडिंग बैंक नाबार्ड की किश्त चुकाने की भी स्थिति में नहीं हैं। पंजाब सरकार ने उन्हें फंड देने की बजाय बाजार से कर्ज लेने का सुझाव दिया है, जिसकी गारंटी पंजाब सरकार दे देगी।

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    किसानों के कर्ज की रिकवरी नहीं होने से नाबार्ड की किश्त देने को मोहताज हुए बैंक

    राज्य के सहकारी बैंक ने पंजाब सरकार से 3600 करोड़ रुपये और पंजाब स्टेट एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट बैंक से 150 करोड़ रुपये की डिमांड की थी, ताकि वह नाबार्ड की किश्त दे सके। इन बैंकों की समस्या यह है कि पंजाब सरकार की ओर से कर्ज माफी की घोषणा के बाद से किसान किश्त नहीं दे रहे हैं। ऐसे में उनके सामने वित्तीय संकट पैदा हो गया है।

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    इस समस्या को लेकर वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। इसमें वित्त आयुक्त (कराधान) अनुराग अग्रवाल, वित्त आयुक्त (सहकारी) डीपी रेड्डी, राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक एसके बातिस, पीआइडीबी के एमडी हरिंदर सिद्धू और रजिस्ट्रार (सहकारी समिति) अरविंदर सिंह बैंस व अन्य भी शामिल थे। को-ऑपरेटिव और एग्रीकल्चर डेवलपमेंट बैंक ने 3750 करोड़ रुपये मांगे हैं।

    बैठक में यह बात उभर कर सामने आई कि सरकार ने सहकारी बैंकों को 3600 करोड़ रुपये की आवश्कता है, ताकि नाबार्ड की किश्त दी जा सके। यह रकम लगभग 6.5 लाख खाताधारकों की ओर से बकाया है, जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है।

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    मुख्य रूप से किसानों को अल्पकालिक ऋण देने वाले सहकारी बैंकों ने हाल ही में सरकार को बताया कि उनकी वित्तीय स्थिति बिगड़ रही थी, क्योंकि पंजाब में अधिकतर किसानों ने ऋण माफी पर सरकार की घोषणा के बाद ऋण चुकाना बंद कर दिया।

    लोन देने में 350 करोड़ रुपये की कमी

    राज्य कृषि विकास बैंक की ओर से किसानों को दिए गए ऋणों की वसूली में भारी गिरावट के कारण आगे ऋण देने के लिए 350 करोड़ रुपये की कमी है। बैंक को नाबार्ड को कम से कम 150 करोड़ रुपये का भुगतान 31 जुलाई तक करना पड़ता है, अन्यथा इसे 2500 करोड़ रुपये का डिफॉल्ट भुगतान करना होगा, जो बैंक ने नाबार्ड से लिया था।

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    सूत्र बताते हैं कि वित्त विभाग ने बैंकों को बाजार से लोन लेकर नाबार्ड को देने की सुझाव दिया है। हालांकि इसकी गारंटी पंजाब सरकार देगी। सरकार की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं है कि वह 3750 करोड़ रुपये बैंकों को दे सके।

    वसूली 65 फीसदी से घटकर 10 फीसद पहुंची

    एक अनुमान के मुताबिक, लंबी अवधि के ऋण की वसूली पहले 60-65 फीसद से घटकर 10फीसद हो गई है, लेकिन अल्पकालिक ऋण वसूली पहले 85-90 फीसद से घटकर 55 फीसद हो गई है। राज्य सहकारी बैंक हर फसल चक्र के दौरान नाबार्ड से करीब 6000 करोड़ रुपये का अल्पकालिक ऋण लेने के बाद किसानों को ऋण देता है। एक बार जब बैंक किसानों से पैसा वसूलता है, तो उसे नाबार्ड में वापस कर दिया जाता है और इस प्रकार क्रम जारी रहता है।