देश की आजादी की खातिर एक नहीं पांच भगत सिंह हुए थे शहीद
देश की आजादी के लिए शहीदे आजम भगत सिंह के लिए चार और भगत सिंह ने अपनी शहादत दी थी। यह खुलासा केंद्र सरकार द्वारा जारी डिक्शनरी ऑफ मार्टियर्स में ख्ुालासा हुआ है।
बठिंडा, [संतोष कुमार शर्मा]। आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व लुटा देने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह का नाम तो सारी दुनिया जानती है, लेकिन रोचक बात यह है कि देश की खातिर एक भगत सिंह नहीं, बल्कि पांच भगत सिंह शहीद हुए थे। इसमें शहीद-ए-आजम के अलावा तीन का संबंध अमृतसर और एक का संबंध फिरोजपुर से था। इसका खुलासा केंद्र सरकार की ओर से जारी डिक्शनरी ऑफ मार्टियर्स में किया गया है।
केंद्र सरकार की डिक्शनरी ऑफ मार्टियर्स से हुआ खुलासा
बठिंडा के हरमिलाप सिंह ग्रेवाल ने सूचना के अधिकार के तहत केंद्र सरकार से जानकारी मांगी थी कि भगत सिंह को शहीद का दर्जा मिला है या नहीं? इसके जवाब में केंद्रीय सांस्कृति मंत्रालय की ओर से डिप्टी सेक्रेटरी मीनू बतरा ने बताया कि साल 2008 में सरकार ने देश की खातिर शहीद होने वाले देशभक्तों की जानकारी एकत्र करने का निर्देश दिया था। इसके बाद 2012 में डिक्शनरी ऑफ मार्टियर्स रिलीज की गई। इसमें भगत सिंह को शहीद का दर्जा दिया गया है।
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साथ ही बताया गया कि देश की खातिर पांच भगत सिंह नाम के युवा शहीद हुए हैं। डिक्शनरी में 1857 से 1947 के बीच शहीद होने वाले सभी देशभक्तों का जिक्र है। सूचना अधिकार के तहत केंद्र सरकार से यह भी पूछा था कि जब 2012 में सभी को शहीद का दर्जा दिया गया है, तो उनके परिवारों को ढूंढने की कोशिश क्यों नहीं की गई? अगर नहीं की गई है, तो सभी शहीदों के परिवारों को अविलंब ढूंढ कर सम्मानित किया जाए।
इनको मिला शहीद का दर्जा
1. लायलपुर निवासी शहीद भगत सिंह
पंजाब प्रांत के जिला लायलपुर के गांव बंगा निवासी भगत सिंह को भारत की आजादी के लिए 8 अप्रैल 1929 को नेशनल असेंबली में बम फेंकने के मामले में 23 मार्च, 1931 को लाहौर केंद्रीय जेल में उनके साथी सुखदेव व राजगुरु के साथ फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। इस संबंध में फिरोजपुर पुलिस थाने में एफआईआर संख्या-130 भी दर्ज है।
2. गांव तावा खुर्द, अमृतसर
अमृतसर जिले के गांव तावा खुर्द निवासी सिख जट भगत सिंह को भी केंद्र सरकार ने शहीद का दर्जा दिया है। वह गुरु के बाग अमृतसर में अगस्त 1922 में पुलिस लाठीचार्ज में शहीद हुए थे। वह सिख जत्थे का नेतृत्व कर रहे थे, जो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा था।
3. गांव तोसडा टोडाखुर्द, अमृतसर
अमृतसर जिले के गांव तोसडा टोडा खुर्द निवासी भगत सिंह 1922 में अमृतसर में गुरु के बाग तक शांति पूर्वक ढंग से निकाले गए सिख जत्थे में शामिल थे आैर लाठीचार्ज में शहीद हो गए।
4. गांव तेरा खुर्द, अमृतसर के भगत सिंह
अमृतसर जिले के तेरा खुर्द गांव के भगत सिंह पुलिस लाठीचार्ज में शहीद हो गए थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अांदोलन में भाग लिया था। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक वह 4 सितंबर 1922 को शहीद हुए थे। उनके दो पुत्र थे।
5. गांव मबाना, फिरोजपुर
पंजाब के जिला फिरोजपुर के गांव मबाना निवासी भगत सिंह गुरिल्ला रेजिमेंट में थे, लेकिन शहीद कैसे हुए। इस संबंधी जानकारी नहीं दी गई है।
शहीद घोषित करने को लेकर उठ चुकी है मांग
केंद्र सरकार से कई बार भगत सिंह को शहीद का दर्जा देने संबंधी मांग की जाती रही है, लेकिन हर बार सरकार गोलमोल जवाब देती रही। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि भगत सिंह की कुर्बानी से हर देशवासी वाकिफ है, उन्हें शहीद का दर्जा मिला या नहीं, यह कोई सवाल नहीं है।
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सरबजीत सिंह को शहीद का दर्जा देने पर उठे सवाल
पिछले दिनों पाकिस्तान के कोट लखपत जेल में मारे गए सरबजीत सिंह को पंजाब सरकार द्वारा शहीद का दर्जा देने पर फिर सवाल खड़ा हो गया है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में राष्ट्रपति सचिवालय के उप सचिव जेजी सुब्रम्हणयम ने बताया कि सरबजीत शहीद नहीं, बल्कि एक तस्कर था। पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में सरबजीत सिंह की हत्या के बाद जब उसका शव भारत लाया गया, तो पंजाब सरकार ने उसे शहीद घोषित करने के साथ परिवार को एक करोड़ रुपये की सहायता देने के अलावा बेटियों को नौकरी दी गई थी।
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अब राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से दी गई जानकारी के बाद विवाद उठ गया है, क्योंकि इसमें पाकिस्तान के हवाले से बताया गया है कि सरबजीत सिंह न केवल एक तस्कर था, बल्कि यह भी स्पष्ट किया गया है कि वह तस्करी से अपनी आजीविका चलाता था। साल उसने 29 व 30 अगस्त 1990 की रात कसूर सीमा से पाकिस्तान में प्रवेश किया था, जहां पाकिस्तानी सेना ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। 17 जनवरी 2016 को पाकिस्तान के जेल में मौत हो गई थी।
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