सरकारी अस्पताल में बच्चे के शव का सौदा, पैसे न दिए तो फ्रिजर में रखा
अमृतसर के गुुरु नानकदेव अस्पताल में एक अमानवीय मामला सामने आया है। अस्पताल के बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर में एक बच्चे की मौत के बाद शव देने के लिए सौदेबाजी की गई।
जेएनएन, अमृतसर। निजी अस्पतालों में मरीज की मौत के बाद पैसे वसूल कर शव देना का मामला सामने आता रहता है, लेकिन अब सरकारी अस्पतालों में भी ऐसे मामले सामने अाने लगे हैं। ऐसा ही मामला अमृतसर के सरकारी गुरुनानक देव अस्पताल में आया है। आरोप लगा है कि अस्पताल में एक डॉक्टर ने पांच साल के बच्चे की मौत के बाद उसके परिजनों से साढ़े 18 रुपये चुकाने को कहा। परिजनों ने यह राशि देने में असमर्थता जताई तो डॉक्टर ने बच्चे का शव फ्रीजर में रखवा दिया। उसने तब तक शव नहीं दिया जब तक सौदेबाजी नहीं कर ली। पंजाब में सरकारी अस्पतालाें में पांच साल तक के बच्चों का इलाज पूरी तरह फ्री है।
अजनाला के राजासांसी निवासी कारज सिंह ने बताया कि उनका पांच वर्षीय बच्चा अंगद दीप सिंह किडनी फेल्योर का शिकार था। जन्म के साथ ही यह बीमारी उसे मिली थीे। लंबे समय तक निजी अस्पतालों में उपचार करवाते रहे। लाखों रुपये खर्च हुए। 25 दिन पूर्व वह बच्चे को गुरुनानक देव अस्पताल स्थित बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर ले आए।
रुपये नहीं देने पर डॉक्टर ने बच्चे का शव फ्रीजर में रखवाया
कारज सिंह के अनुसार, डॉक्टरों ने बच्चे को दाखिल करते समय कहा कि इसके उपचार का खर्च बाद में लेंगे। इलाज के बाद भी बच्चे की हालत में सुधार नहीं आया। शनिवार देर शाम अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। रविवार सुबह लगभग छह बजे उसका इलाज कर रहे डॉक्टर ने बताया कि उसकी मौत हो गई है। परिजन जब शव ले जाने लगे तो डॉक्टर ने उन्हें 18,600 रुपये जमा करवाने को कहा।
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कारज सिंह के अनुसार, डॉक्टर ने कहा कि यह राशि दवाइयों में खर्च हुई है और दवाएं बाहर से मंगवाई गईं। कारज सिंह ने अपनी खराब आर्थिक हालत का हवाला देते हुए यह राशि देने में असमर्थता जाहिर की, लेकिन डॉक्टर अपनी बात पर अड़ गए। उसने बच्चे का शव फ्रीजर में रखवाकर कहा कि जब तक पैसे नहीं देते, शव नहीं मिलेगा।
उन्होंने बताया कि बड़ी मुश्किल से उन्होंने आठ हजार रुपये का इंतजाम किया। कुछ देर बाद डॉक्टर फिर आया और पैसे मांगे। हमने कहा कि आठ हजार ही हैं। इस पर डॉक्टर ने आठ हजार ले लिए और शव हमारे हवाले कर दिया। इसके बाद परिजन बच्चे का शव लेकर राजासांसी चले गए और देर शाम कब्रिस्तान में दफना दिया।
सरकारी अस्पताल में यह है नियम
सरकारी अस्पतालों में एक से पांच वर्ष तक के बच्चों का उपचार फ्री है। यदि अस्पताल के दवा केंद्र में दवाएं न हों तो अस्पताल प्रशासन अपने स्तर पर दवाएं मंगवाकर सरकार से राशि पास करवाता है। बच्चे के परिजनों से पैसे नहीं मांगे जा सकते।
अस्पताल में नहीं बच्चे का रिकॉर्ड, लिखित शिकायत दें : मेडिकल सुपरिंटेंडेंट
अमृतसर के बेबे नानकी सेंटर में शव की सौदेबाजी करने वाला यह डॉक्टर कौन है, इसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन को भी नहीं है। इस संबंध में मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. रामस्वरूप शर्मा का कहना है कि मामले की जानकारी मिलने के बाद वह सेंटर में गए थे। यहां पर डॉक्टरों से बात की, लेकिन इस बारे में कुछ पता नहीं चल पाया।
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उनका कहना है कि अस्पताल के रिकॉर्ड में बच्चे अंगद दीप सिंह का नाम भी नहीं है। बहरहाल, बच्चे के परिजन उन्हें लिखित शिकायत दें। इसके बाद अस्पताल प्रशासन जांच करेगा। अगर डॉक्टर ने ऐसा किया है तो कार्रवाई की जाएगी।
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