हिम्मत हो तो 14 साल की शैली जैसी, खाई में गिरी बस तो बचाई 60 की जान
संकट के समय धैर्य व सोच से व्यक्ति खुद को भी नहीं बचा सकता है बल्कि दूसरे की जान भी बचा सकता है। अमृतसर की 14 साल की लड़की ने बस के खाई में गिर जाने के बाद 60 लोगों की जान बचा ली।
अमृतसर, [नितिन धीमान]। हिम्मत हो तो 14 साल की शैली जैसी। अमृतसर की इस दिलेर लड़की ने बस के गहरी खाई में गिरने और खुद उसमें बुरी तरह दब जाने के बाद भी उसने 60 लाेगों की जिंदगी बचा ली। वह बस में सीटों के नीचे मां के साथ दबी हुई थी और बस में कोहराम मचा था। ऐसे में शैली ने अपने मोबाइल फोन में गूूगल पर हेल्पलाइन का नंबर निकाला अौर वहां फाेन कर सहायता मांगी।15 मिनट के अंदर मिल गई आैर बस में फंसे लोगों की जान बच गई।
मां के साथ बस में सीटों के नीचे दबी थी, फिर भी गूगल पर हेल्पलाइन नंबर सर्च कर मांगी मदद
घटना हिमाचल प्रदेश के ढलियारा में हुई। वह अपनी मां के साथ बस मं जा रही थी। इसी दाैरान बस गहरी खाई में गिर गई थी। अमृतसर की शैली भगत अपनी मां कुसुम के साथ बस में सवार थी। अमृतसर के गुरुनानक देव अस्पताल में दाखिल शैली ने इस हादसे के बारे में बताया तो रोंगटे खड़े हो गए। शैली ने कहा, 'मैं बस तेज गति से जा रही थी और मोबाइल पर मैसेज देख रही थी। अचानक बस हिचकोले खाने लगी। मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले ही जोरदार धमाके से बस सड़क से नीचे उतर गई और पलटते हुए खाई में जा गिरी।'
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शैली ने कहा, ' मैं अपनी मां के साथ बस की सबसे अगली सीट पर बैठी थी। बस के खाई में गिरने के बाद पीछे की सीटें मुड़कर हम पर आ गईं। मैं और मां इन सीटों के नीचे दब गईं। पीछे बैठे लोग भी सीटों के अंदर फंसे हुए थे। बाहर निकलने का कोई रास्ता भी न था। बस में चीख पुकार मची हुई थी।'
शैली ने बताया, ' सीट के नीचे दबे-दबे मैंने मां से पूछा कि आप ठीक हो। मां ने हां में उत्तर दिया। मेरे हाथ में मोबाइल जस का तस था। मैंने किसी तरह अमृतसर में पापा को फोन लगाया और घटना की जानकारी दी। इसके बाद गूगल पर हेल्पलाइन नंबर सर्च किए। मेरी टांगें और हाथ सीट के नीचे इस तरह फंसे हुए थे कि पूरी ताकत लगाने के बावजूद भी हिल नहीं पा रही थी। मैंने दाहिने हाथ में मोबाइल पकड़ा था और इसी हाथ की अंगुलियों से नंबर डायल कर दिया। मोबाइल को कान तक नहीं ला सकती थी, इसलिए स्पीकर मोड का ऑप्शन प्रेस कर हेल्पलाइन नंबरों पर बात की।'
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शैली ने बताया कि फोन करने के 15 मिनट बाद ही सरकारी व समाजसेवी संस्थाओं की एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंच गईं। उनके साथ ही पुलिस व आसपास के लोग भी मौके पर आए। इसके बाद राहत कार्य शुरू हुआ। इस दर्दनाक घटना में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 60 से अधिक लोग जख्मी हुए।
अमृतसर के हरिपुरा क्षेत्र में रहने वाली शैली के पिता सुभाष भगत ने बताया कि इस हादसे में शैली की मां के पैर व छाती की हड्डी फैक्चर हुई है। शैली के कंधे व कमर में चोटें लगीं। बेटी की सूझबूझ के कारण 60 लोगों की जिंदगी बची है।
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उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि यदि बेटी आपातकालीन नंबर सर्च करके फोन न करती तो सहायता न मिलती, लेकिन सहायता मिलने में कुछ और देर लग सकती थी और मौत का आंकड़ा बढ़ सकता था। उन्हें मलाल है कि पंजाब सरकार ने घायलों को आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं करवाई। हिमाचल सरकार ने उनकी पत्नी व बेटी को 10 हजार रुपये का मुआवजा देहरा अस्पताल में ही दे दिया था।
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शैली को देंगे विशेष सम्मान : एमएस
दूसरी तरफ गुरुनानक देव अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. रामस्वरूप शर्मा ने कहा कि शैली ने बहादुरी और सूझबूझ का परिचय दिया है। अस्पताल प्रशासन द्वारा उसे विशेष सम्मान दिया जाएगा।
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