आउटसाइडर हैं मेरी प्राथमिकता- विपुल अमृतलाल शाह
अपनी फिल्मों में बड़े मुद्दे और आला दर्जे के एक्शन की खुराक के साथ ही नए कलाकारों को मौका देना चाहते हैं विपुल अमृतलाल शाह। इसी की कड़ी है इस हफ्ते रिलीज हो रही उनकी फिल्म ‘कमांडो 2’
फिल्म इंडस्ट्री में कॉरपोरेट स्टूडियो की मजबूत पैठ हो चुकी है। इसके बावजूद विपुल अमृतलाल शाह जैसे स्वतंत्र निर्माता निरंतर विस्तार कर रहे हैं। हाल के बरसों में उनका ध्यान फ्रेंचाइजी फिल्मों पर गया है। इसके जरिए वह आउटसाइडर चेहरों को स्टार बनाना चाहते हैं। इस इरादे से उन्होंने ‘कमांडो’ से प्रतिभावान विद्युत जाम्बाल को लांच किया था। फिल्म की सीक्वल ‘कमांडो 2’ में भी वह हीरो हैं।
हकदार को ही प्लेटफॉर्म
विपुल कहते हैं, ‘इस संदर्भ में इंडस्ट्री और दर्शकों दोनों का रवैया थोड़ा अजीब है। वे स्टार पुत्र-पुत्रियों को तो बड़ी जल्दी स्वीकार कर लेते हैं, पर आउटसाइडर को नहीं। मैं इस माहौल में बदलाव लाना चाहता हूं। इसी मकसद से मैंने ‘कमांडो’ फ्रेंचाइजी का आगाज किया। हर बार इसमें विद्युत ही हमारे हीरो होंगे। हम आला दर्जे की एक्शन फिल्म देना चाहते हैं। जिसमें बड़े मुद्दे के साथ दिमागी एक्शन भी शामिल हो। विद्युत उस पैमाने पर खरे उतरे हैं।’
टाइगर श्रॉफ कमांडो सीरीज में नहीं
विपुल आगे कहते हैं, ‘टाइगर श्रॉफ भी कमाल के एक्शन स्टार हैं। वह गजब के डांसर भी हैं, मगर ‘कमांडो सीरीज में विद्युत जाम्बाल ही सदा रहेंगे। हम उन्हें नहीं बदलेंगे। वह मार्शल आर्ट में माहिर हैं। उम्दा डांसर भी हैं। फिल्म ‘कमांडो 2’ के गाने ‘हरे रामा, हरे कृष्णा में उनके करतब देखे जा सकते हैं। चूंकि उनका एक्शन ही इतना सधा हुआ है कि लोगों को उनकी बाकी खूबियां नजर नहीं आतीं। यहां उनका किरदार विदेशों में पड़े कालेधन को वापस लाने के मिशन पर जुटा हुआ है। इस काम में उनके साथ दो लड़कियां भी हैं। फलस्वरूप यहां उनका रोमांस का अंदाज भी देखने को मिलेगा। विद्युत जेसन बॉर्न या जेम्स बांड से कहीं बेहतर एक्शन करते हैं। ’
उम्दा काम पाता है तारीफ
नोटबंदी के तुरंत बाद रिलीज फिल्मों में विपुल शाह की ‘फोर्स 2’ भी थी। जिसका नुकसान उसे उठाना पड़ा था। उम्मीद है कि ‘कमांडो 2’ को ऐसा कोई नुकसान नहीं होगा। विपुल कहते हैं, ‘नई नकदी सिस्टम में आ चुकी है, तो अब नोटबंदी समस्या नहीं है। मैं मानता हूं कि फिल्म में मेरिट होगी तो वह चलेगी, अन्यथा नहीं।’
गंभीर सिनेमा भाता है
कॉरपोरेट स्टूडियो के चलते स्टार कल्चर फिल्म निर्माण में हावी हुआ। इसमें बदलाव के लिए स्थापित निर्देशकों को भी पहल करनी होगी। मेरे बारे में भी लोगों ने गलत राय कायम कर ली है। वह यह कि मैं कमर्शियल फिल्में ही बनाना चाहता हूं, जबकि मेरे कॅरियर की शुरुआत थिएटर से हुई है। वहां गंभीर कंटेंट पर मैं काम करता था। मुझे ‘मसान’ जैसी कहानी का इंतजार है। कोई लेकर तो आए।’
प्रस्तुति- अमित कर्ण
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