Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सत्यवती की इच्छा जायज थी

    By Edited By:
    Updated: Thu, 26 Sep 2013 01:25 PM (IST)

    बांग्ला फिल्मों में भरपूर नाम बटोर चुकी शायंतनी घोष को एक बार फिर टीवी में बड़ा मौका मिला है। उन्हें स्टार प्लस के 'महाभारत' में सत्यवती का रोल ऑफर हुआ है। सत्यवती की शख्सियत आज की आक्रामक और अतिमहत्वाकांक्षी महिलाओं जैसी है। इस बारे में बातचीत शायंतनी से।

    Hero Image

    बांग्ला फिल्मों में भरपूर नाम बटोर चुकी शायंतनी घोष को एक बार फिर टीवी में बड़ा मौका मिला है। उन्हें स्टार प्लस के 'महाभारत' में सत्यवती का रोल ऑफर हुआ है। सत्यवती की शख्सियत आज की आक्रामक और अतिमहत्वाकांक्षी महिलाओं जैसी है। इस बारे में बातचीत शायंतनी से।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'महाभारत' जैसे एपिक का हिस्सा बनकर निश्चित तौर पर अच्छा लग रहा होगा?

    सही कहा आपने। यह लाइफ टाइम एक्सपीरियंस है। मुझे कितनी खुशी और गर्व की अनुभूति हो रही है, उसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। उस महागाथा को लोग आज भी याद करते हैं। उसकी कहानी आज भी प्रासंगिक है। हमेशा रहेगी। मेरे ख्याल से जिंदगी में कथित 'व्यावहारिक' रवैये से परिचय चाणक्य नीति के बाद महाभारत के किस्से ने करवाया।

    सत्यवती से आज की महिलाएं किस कदर रिलेट करेंगी?

    जो भी महत्वाकांक्षी हैं, सफलता हासिल करना चाहती हैं। अपने प्यार को लेकर जुनूनी हैं। वे सब सत्यवती से रिलेट करेंगी। वह अपना हक किसी कीमत पर नहीं खोना चाहती। उसके चलते किसी और का क्या हो रहा है, इसकी उसे परवाह नहीं थी। मेरे ख्याल से अधिकतर महिलाएं ही क्या, पुरुष भी इसी सोच के होते हैं। नतीजतन सत्यवती भले भीष्म पितामह के प्रशंसकों की आंखों की किरकरी हो, पर पॉपुलैरिटी तो उसे जरूर मिलेगी। वैसे भी महाभारत के युद्ध का बीजारोपण तो सत्यवती की क्रिया-प्रतिक्रिया का ही नतीजा था।

    'महाभारत की एक सांझ' में दुर्योधन का तर्क था कि अगर उसके पिता अंधे नहीं होते तो हस्तिनापुर उसी का होता। क्या आप मानती हैं कि कौरवों की नेगेटिविटी को बढ़ाकर पेश किया गया?

    मेरे ख्याल से हस्तिनापुर को अगर सक्षम राजा मिला होता, तो कौरवों या पांडवों को युद्ध की विभीषिका ही नहीं झेलनी पड़ती। बहरहाल दोनों अपनी-अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। वे अपना हक हासिल करना चाहते थे, इसलिए हम किसी एक पक्ष को गलत नहीं करार दे सकते हैं।

    सत्यवती की भूमिका को जीवंत बनाने की खातिर क्या सब किया है आपने?

    हमारे वर्कशॉप हुए थे। कैरेक्टर की डिटेलिंग पर मैंने क्रिएटिव और रिसर्च टीम के साथ बहुत काम किया। कॉस्ट्यूम के साथ सत्यवती की चाल-ढाल पर हमने काफी ध्यान दिया है। गहनों से पूरी बॉडी पटी होने के बावजूद सहज रहने की कोशिश की। उसकी आक्रामकता को मैंने बखूबी निभाया है। लोगों को वह अपील करेगी।

    'बिग बॉस' के बाद यह शो आपके करियर में मील का पत्थर साबित होगी?

    यकीनन..। यह फिक्शन शो है। लार्ज स्केल पर शूट हुआ है। ड्रामे से भरपूर है। इंसान के हर गुण-दुर्गुण को देखने-समझने का मौका मिलेगा। स्पेशल इफेक्ट्स का बढि़या इस्तेमाल हुआ है। संवाद से थॉट देने की कोशिश की गई है। निश्चित तौर पर इससे जुड़े हर एक कलाकार को फायदा होने वाला है।

    अब तो वह बात भी नहीं रही कि माइथो या ऐतिहासिक शो में काम किया तो आगे आपके लिए दरवाजे बंद हो जाते हैं?

    हां। अब ढेर सारे चैनल हैं और लगातार नए खुल रहे हैं। दर्शक भी इन्वॉल्व हुए हैं। अब वह जमाना नहीं रहा कि कृष्ण का किरदार निभाने वाले को टीवी पर देख लोग उन्हें पूजने लगेंगे।

    बंगाल में फिल्में कर रही हैं और हिंदी में टीवी तक ही सीमित हैं। ऐसा क्यों?

    टीवी का दायरा अब काफी बढ़ चुका है। उसे दोयम समझना भूल है। अनिल कपूर जैसे कद्दावर अभिनेता अपना शो लेकर टीवी पर आ रहे हैं, तो मेरी क्या बिसात है?

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर