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    फिलहाल फिल्मों का इरादा नहीं

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    Updated: Fri, 02 Mar 2012 08:39 PM (IST)

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    जी टीवी के धारावाहिक 'यहा मैं घर-घर खेली' से मिली लोकप्रियता को भरपूर एंजाय कर रही हैं सुहासी धामी। बड़े पर्दे का रुख करने की उनकी कोई इच्छा नहींहै। सुहासी की बातें उन्हींकी जुबानी

    शो की खास बात

    मनोरंजन के नाम पर आप कुछ भी नहींपरोस सकते। मैं मानती हूं कि लाग रन में वे ही सीरियल या चैनल चलेंगे जो दर्शकों को लगातार दमदार कंटेंट दे सकेंगे। जहा तक 'यहा मैं घर-घर खेली' की बात है, तो मुझे लगता है कि उसमें एक सीख और इमोशन हैं। बुरे हालातों से जूझने की सीख देता है यह सीरियल, यही वजह है कि हिंदुस्तान की आम जनता इससे जुड़ाव महसूस करती है।

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    टाइम लिमिट होनी चाहिए

    'यहा मैं घर-घर खेली' पिछले तीन सालों से चल रहा है। कितने साल और यह सीरियल ऑन एयर रहेगा, इसका जवाब तो सीरियल के निर्माता देंगे। वैसे मेरी निजी सोच है कि किसी भी सीरियल का ब्राडकास्ट पीरियड एक से दो साल का होना चाहिए। इससे लबा खिचने पर वह नीरस होने लगता है।

    फिल्म और टीवी में फर्क

    टीवी और फिल्म के दर्शक अलग-अलग हैं। टीवी पर बहुत ज्यादा बोल्ड कार्यक्रम नहीं दिखाए जा सकते। साफ-सुथरे कंटेंट ही टीवी की असल पहचान है।

    चुनौतियां हैं पसद

    'यहा मैं घर-घर खेली' के किरदार स्वर्ण आभा से असल जिंदगी में भी मेरी सोच मिलती है। मैं भी स्वर्णआभा की तरह खुद को बुरे हालात का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रखती हूं। उसकी तरह मैं भी हंसमुख और अपने परिवार से प्यार करने वाली लड़की हूं। घर में सबसे छोटी हूं। सबकी लाड़ली हूं, लेकिन मनमानी नहीं करती।

    एक्सपेरिमेंट करते रहना जरूरी

    एक्टिंग कॅरियर के आरंभ में मैंने स्टार प्लस के शो 'एक चाबी है पड़ोस में' में कॉमेडी की थी, अब सीरियस कैरेक्टर में नजर आ रही हूं। दरअसल मुझे हर तरह के शेड पसद हैं। मेरे ख्याल से कलाकार को हमेशा एक्सपेरिमेंट करते रहना चाहिए। [मुंबई ब्यूरो]

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