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अभिनव खुद थे टॉप्स में, तो सिस्टम दोषी कैसे

बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा रियो में पदक से चूकने के लिए भारतीय सिस्टम को दोषी ठहरा रहे हैं

By Mohit TanwarEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2016 10:30 AM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2016 10:59 AM (IST)
अभिनव खुद थे टॉप्स में, तो सिस्टम दोषी कैसे

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा रियो में पदक से चूकने के लिए भारतीय सिस्टम को दोषी ठहरा रहे हैं। लेकिन उनकी बात इसलिए हजम करना मुश्किल है, क्योंकि वह खुद केंद्र सरकार की टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) का हिस्सा थे।

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केंद्र में भाजपा नीति राजग सरकार आने के बाद तत्कालीन खेल मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ओलंपिक की तैयारियों के लिए इस स्कीम को लाए थे और अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता में बनी समिति में अभिनव बिंद्रा, पुलेला गोपीचंद, राहुल द्रविड़ और एमसी मैरी कॉम शामिल थीं। अभिनव और मैरी इस समिति के ऐसे सदस्य थे जो खुद टॉप्स से धन लेने के दावेदार थे।

यही नहीं अभिनव इस स्कीम के जरिये सबसे ज्यादा प्रशिक्षण राशि पाने वाले एथलीट थे। उन्हें ट्रेनिंग के लिए एक करोड़ से ज्यादा रुपये मिले और रियो में वह दस मीटर एयर राइफल स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहकर पदक से चूक गए। पदक से चूकने और रियो में भारतीय दल के निराशाजनक प्रदर्शन के लिए वह पूरे सिस्टम को दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि वह ओलंपिक के लिए एथलीटों को चुनने, भविष्य के खिलाड़ियों को चुनने और ट्रेनिंग के लिए धन देने के लिए निर्धारित करने वाली सर्वोच्च समिति के सदस्य थे।

यही नहीं कुछ समय बाद उन्होंने और अनुराग ने खुद को इस कमेटी से अलग भी कर लिया। ऐसे में उनकी सिस्टम को दोष देने की दलील में दम नजर नहीं आता है। बिंद्रा ने ट्विटर पर लिखा था कि ब्रिटेन में प्रत्येक पदक पर 71 लाख डॉलर (करीब 47 करोड़ रूपये) खर्च किए जाते हैं, लेकिन हमारे यहां इसकी भारी कमी है। हम जब तक ऐसे सिस्टम को नहीं अपनाते तब तक हम पदक की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।’

-खेल मंत्रलय ने पिछले साल 28 अप्रैल को टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम लांच की।

-इसके तहत दो साल में 100 से ज्यादा एथलीटों को देश और विदेश में ट्रेनिंग दी गई।

-इसमें लगभग 180 करोड़ रुपये खर्च किए गए’ एथलेटिक्स से लेकर हॉकी तक में दोगुने से ज्यादा विदेशी कोच नियक्त हुए।

-इस बार एथलीटों को ओलंपिक में अपने अनुसार जाने की छूट दी गई।

-फूड सप्लीमेंट के लिए मिलने वाले भत्ते को दोगुने से ज्यादा किया गया।

-हर एथलीट की हर मांग मानी गई।

रियो में भारतीय एथलीटों की जरूरत पूरी करने के लिए मंत्रलय ने रियो दूतावास को एक करोड़ रुपये भेजे।

-एथलीटों को अलग से पर्सनल कोच और सहयोगी स्टाफ दिया गया

खिलाड़ियों ने क्या किया

भारत में खिलाड़ी हर समय सिस्टम को दोष देकर बच नहीं सकते। सचिन तेंदुलकर जब राज्यसभा सदस्य बने थे तो उन्होंने कहा था कि खेलों में बदलाव के लिए वह काम करेंगे, लेकिन उन्होंने अब तक क्या किया इसका जवाब देना चाहिए। इसी तरह एमसी मैरी कॉम और बिंद्रा को भी बताना चाहिए कि उनके पास खेलों को बेहतर करने के लिए क्या योजना है।

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