हमेशा अपनों की जासूसी कराता रहा अमेरिका
अपने ही नागरिकों की जासूसी करने के मामले में दुनियाभर की निंदा का सामना कर रही अमेरिका सरकार ऐसा हमेशा से करती आई है। अमेरिकी सरकार द्वारा गुप्त सूची से हटाए गए दस्तावेज जासूसी की कहानी बहुत पुरानी होने की पुष्टि करते हैं। सरकार को अश्वेतों के अधिकारों के लिए लड़े महान नेता मार्टिन लूथर किंग, उनके स
वाशिंगटन। अपने ही नागरिकों की जासूसी करने के मामले में दुनियाभर की निंदा का सामना कर रही अमेरिका सरकार ऐसा हमेशा से करती आई है। अमेरिकी सरकार द्वारा गुप्त सूची से हटाए गए दस्तावेज जासूसी की कहानी बहुत पुरानी होने की पुष्टि करते हैं। सरकार को अश्वेतों के अधिकारों के लिए लड़े महान नेता मार्टिन लूथर किंग, उनके सहयोगी व्हिटनी यंग, प्रख्यात बॉक्सर मुहम्मद अली, दो वरिष्ठ सीनेटरों के अलावा न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकारों पर शक हुआ और उनकी जासूसी शुरू कर दी गई।
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नए दस्तावेज से पता चलता है कि वियतनाम में जब अमेरिका सेना कूदी तो देश में ही उसे भारी विरोध का सामना करना पड़ा। अमेरिकी सरकार को शक हुआ कि कहीं इस विरोध में विदेशी हाथ तो नहीं। इसका पता लगाने के निर्देश राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) को दिए गए और एनएसए ने शुरू कर दिया मिनारेट कार्यक्रम। मिनारेट का खुलासा तो 1970 में ही हो गया था। हालांकि, अब तक किसी को नहीं मालूम था कि इस कार्यक्रम के घेरे में कौन-कौन था।
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दस्तावेज जारी होने के बाद जानकारी मिली कि अमेरिकी सरकार प्रिज्म जैसे कार्यक्रम पहले भी चलाया करती थी। इन सभी सम्मानित लोगों के फोन टैप भी किए जाते थे। एनएसए ने युद्ध की आलोचना करने वाले दो सीनेटरों फ्रैंक चर्च और हॉवर्ड बेकर की भी जासूसी की थी। जारी किए दस्तावेज मिनारेट को अवैध के बजाय अशोभनीय करार देते हैं। एक सरकारी पैनल के जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के पक्ष में फैसला देने के बाद इन गोपनीय दस्तावेज को प्रकाशित किया गया।
विश्वविद्यालय का नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव सरकार के गोपनीय कामों पर नजर रखने वाला शोध संस्थान है। संस्थान का कहना है कि एनएसए की निगरानी सूची को देखकर वे अचंभित रह गए। बुधवार को इन दस्तावेज को प्रकाशित करने वाले शोधकर्ता मैथ्यू एड और विलियम बर ने कहा कि अभी की तुलना में वियतनाम युद्ध के वक्त की जा रही जासूसी व्यापक थी। अमरीकी खुफिया एजेंसियों के जानकारी इकट्ठा करने के तरीकों का खुलासा एडवर्ड स्नोडेन ने हाल ही में किया था।
जिन लोगों की मिनारेट कार्यक्रम में निगरानी हो रही थे, वे वियतनाम में अमरीकी हस्तक्षेप के कड़े विरोधी थे। 1967 के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने खुफिया एजेंसियों से इस बात की जांच करने को कहा था कि क्या कुछ प्रदर्शनों की आग को विदेशी सरकारें भड़का रही हैं। एनएसए ने युद्ध विरोधियों की सूची तैयार करने और उनके टेलीफोन टैप करने में दूसरी खुफिया एजेंसियों से मिलकर काम किया।
1969 में रिचर्ड निक्सन के राष्ट्रपति बनने के बाद भी यह कार्यक्रम जारी रहा। निक्सन प्रशासन 1973 में वाटर गेट घोटाले में फंसा और उसी दौरान अमरीकी अटॉर्नी जनरल एलियट रिचर्डसन ने मिनारेट को बंद कर दिया। ये खुलासे उस वक्त हुए जब एनएसए के विवादित निगरानी कार्यक्रमों को लेकर बहस चल रही है। हाल में अमरीकी खुफिया एजेंसियों के जानकारी इकट्ठा करने के तरीकों के बारे में एडवर्ड स्नोडन ने खुलासा किया था। इसके चलते अमेरिका को शर्मिदगी झेलनी पड़ रही है।
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