भारत के लिए अमेरिका ने अपने निर्यात कानून में किया बदलाव
अमेरिका ने अपने निर्यात नियंत्रण कानूनों में आवश्यक परिवर्तन किया है जिससे भारत को फायदा मिलेगा।
वाशिंगटन (प्रेट्र)। भारत को बड़े रक्षा सहयोगी के तौर पर देखते हुए अमेरिका ने अपने निर्यात नियंत्रण कानूनों में आवश्यक परिवर्तन किया है जो भारत के लिए लाभदायक होगा।
यह परिवर्तन भारत के हित में तो है ही साथ ही इससे रक्षा विभाग से जुड़ी भारतीय कंपनियों को भी लाभ होगा। साथ ही, दोनों देशों के बीच रक्षा तकनीक और हथियारों का आदान-प्रदान भी काफी आसान हो जाएगा।
अमेरिका के निर्यात नियंत्रण कानूनों में परिवर्तन के लिए लाए गए नए नियम के जरिए उन भारतीय कंपनियों को सुविधा दी गयी है जो कि अमेरिकी वाणिज्य विभाग के नियंत्रण वाले सैन्य सामानों का आयात करना चाहते हैं। नया नियम एक तरह से भारतीय कंपनियों को ऐसे आयातों की पूर्व स्वीकृति देता है।
एक सूत्र ने बताया कि इस नई व्यवस्था के तहत, बहुत मुश्किल से ही कभी ऐसा होगा कि भारत को सैन्य उपकरणों और हथियारों के आयात के लिए लाइसेंस न मिले।
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अमेरिका-भारत बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा, 'मैं अमेरिका द्वारा भारत को मुख्य रक्षा सहयोगी का दर्जा दिए जाने पर बेहद खुश हूं।'
नए नियम के कारण अब जिन कंपनियों को 'वैलिडेटेड ऐंड यूजर' का दर्जा मिल जाएगा, उन्हें हथियारों के आयात के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी। USIBC के डिफेंस ऐंड एयरोस्पेस निदेशक बेंजामिन एस ने कहा, 'भारत में काम कर रहीं भारतीय और अमेरिकी कंपनियां नागरिक और सैन्य निर्माण, दोनों के लिए ही VEU का दर्जा आवंटित किए जाने का आवेदन कर सकती हैं। ऐसा करने के बाद उन्हें अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ग्लोबल सप्लाइ चेन बनाने और बाजार की बदलती चुनौतियों पर तत्काल ध्यान देने के लिहाज से भी यह बहुत अच्छा कदम साबित होगा।'
पिछले 5 सालों के दौरान दोनों देशों के बीच 3 खरब रुपयों से अधिक की सैन्य तकनीक, हथियार और उपकरणों की खरीद हो चुकी है। इसके लिए 810 लाइसेंस जारी किए गए। ज्यादातर लाइसेंस एयरोस्पेस सिस्टम विकसित करने और जमीन पर चलने वाले वाहनों की खरीद से जुड़े थे। इस बदली हुई व्यवस्था को भारतीय हितों के लिए काफी अच्छा माना जा रहा है।