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    इराक युद्ध के चलते ईरान के लिए खुलने लगे हैं दरवाजे

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    Updated: Wed, 18 Jun 2014 10:03 AM (IST)

    इराक में भीषण उथल-पुथल के चलते अमेरिका और मित्र राष्ट्रों के दरवाजे ईरान के लिए फिर खुलने लगे हैं। करीब तीन दशकों से ईरान पर टेढ़ी रही नजर नरम पड़ने लगी है। ब्रिटेन वहां अपना बंद दूतावास फिर खोलने वाला है तो अमेरिका ताजातरीन इराक संकट में ईरान से सहयोग विकल्प पर विचार कर रहा है। ईरान की परमाणु संबंधी बातचीत भी अंजाम पर पहुंचती लग रही है।

    वाशिंगटन। इराक में भीषण उथल-पुथल के चलते अमेरिका और मित्र राष्ट्रों के दरवाजे ईरान के लिए फिर खुलने लगे हैं। करीब तीन दशकों से ईरान पर टेढ़ी रही नजर नरम पड़ने लगी है। ब्रिटेन वहां अपना बंद दूतावास फिर खोलने वाला है तो अमेरिका ताजातरीन इराक संकट में ईरान से सहयोग विकल्प पर विचार कर रहा है। ईरान की परमाणु संबंधी बातचीत भी अंजाम पर पहुंचती लग रही है।

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    फिर दूतावास खोलेगा बिटेन

    ब्रिटेन जल्द ही ईरान में अपना दूतावास फिर खोलने की घोषणा कर सकता है। बीबीसी के अनुसार विदेश मंत्री विसियम हेग जल्द ही इस बारे में घोषणा कर सकते हैं। वर्ष 2011 में तेहरान स्थित ब्रिटिश दूतावास पर छात्रों के हमले के बाद उसे बंद कर दिया गया था। तब से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध निलंबित हैं।

    वियना में ईरान-अमेरिका बातचीत

    यूं तो वियना में ईरान और अमेरिका जुटे हैं परमाणु संबंधी बातचीत को लेकर। लेकिन वहां दोनों देशों के बीच इराक के बारे में भी बातचीत हो रही है। अमेरिका ये जाहिर कर चुका है कि इराक संकट के हल के लिए वह ईरान से मदद के विकल्प पर विचार कर रहा है। वहीं ईरान ने भी अमेरिका को इस बारे में मदद देने के प्रस्ताव की घोषणा की है। अमेरिका और ईरान के बीच 80 के दशक के बाद से राजनयिक संबंध नहीं हैं।

    परमाणु मुद्दे पर समझौता संभव

    वियना में अमेरिका ने ईरान के संदिग्ध परमाणु कार्यक्रम पर निर्धारित समयसीमा 20 जुलाई तक किसी समझौते तक पहुंचने का भरोसा जताया है। इस बीच वियना में दोनों देशों के शीर्ष राजनयिकों ने सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों और जर्मनी [पी 5 प्लस वन] के नए दौर की वार्ता शुरू की।

    अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, 'वार्ता की प्रक्रिया पहले से तेज हो गई है। 20 जुलाई तक यह सिलसिला जारी रहेगा।' विश्व के ताकतवर देश 20 जुलाई के पहले एक ठोस समझौता चाहते हैं। अगर ऐसा हो गया तो ईरान पर लगे तमाम अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा।

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