मोदी को समन से अमेरिका असहज, बोला-मोदी को है राजनयिक छूट
बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले अमेरिका दौरे से कारोबारी रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का सपना देख रहे ओबामा प्रशासन को न्यूयार्क की एक अदालत से जारी समन के चलते गहरा झटका लगा है।
न्यूयॉर्क। बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले अमेरिका दौरे से कारोबारी रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का सपना देख रहे ओबामा प्रशासन को न्यूयार्क की एक अदालत से जारी समन के चलते गहरा झटका लगा है। 2002 के गुजरात दंगों को लेकर न्यूयार्क की संघीय अदालत ने मोदी के खिलाफ समन जारी कर नोटिस तामील होने के 21 दिन के भीतर जवाब मांगा है। कोर्ट की इस कार्यवाही से अमेरिकी सरकार के समक्ष असहज स्थिति पैदा हो गई है। बचाव में आए ओबामा प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते मोदी को अमेरिकी अदालतों में केस से राजनयिक छूट हासिल है। लिहाजा उन्हें कोई भी अदालती समन तामील नहीं कराया जा सकता है।'
भारत ने भी पीएम के खिलाफ अमेरिकी कोर्ट में लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन का कहना है कि यह केस मोदी के अमेरिका दौरे से ध्यान भटकाने की एक तुच्छ कोशिश है। उन्होंने बताया कि समन के मद्देनजर उचित कदम उठाया जाएगा।
गुरुवार को न्यूयार्क के दक्षिण जिले की संघीय अदालत ने मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में 2002 के गुजरात दंगों में उनकी कथित भूमिका को लेकर समन जारी किया। मानवाधिकार संगठन अमेरिकन जस्टिस सेंटर और दो दंगा पीड़ितों की ओर से दाखिल याचिका पर कोर्ट ने यह कदम उठाया। भारतीय मूल के मशहूर अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने एजेसी की याचिका को पब्लिक स्टंट करार दिया है। उनके अनुसार, 'याचिका बेमतलब है। राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते मोदी को राजनयिक छूट का विशेषाधिकार प्राप्त है। सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए याचिका दायर की गई है।'
नई दिल्ली में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार अमेरिकी अदालत के समन का परीक्षण कराएगी। एजेसी के निदेशक जॉन ब्रेडली ने अपने संगठन का बचाव करते हुए कहा कि मोदी के खिलाफ समन जारी होना मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों के लिए कड़ा वैश्विक संदेश है।' ध्यान रहे कि इससे पूर्व मनमोहन सिंह और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ भी अमेरिकी अदालतों से समन जारी हुए थे। लेकिन राजनयिक छूट का हवाला देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने उन मामलों में कोई भी कदम उठाने में असमर्थता जताई थी।
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