भारत की परमाणु क्षमता पर सवाल उठाने वाली मार्शल आईलैंड्स की याचिका खारिज
मार्शल आइलैंड्स ने कोर्ट को बताया कि परमाणु संपन्न देश परमाणु अप्रसार के लिए 1970 के संधि की शर्तों को पूरा नहीं कर रहे हैं।
एम्सटर्डम, रायटर। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने बुधवार को मार्शल द्वीप समूह की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन पर परमाणु प्रसार का आरोप लगाते हुए दुनिया से परमाणु हथियारों को खत्म करने की मांग की थी।
अपनी याचिका में उसने कहा था कि उसने परमाणु हथियारों से सर्वाधिक बर्बादी झेली है, इसलिए उसे इन संहारक हथियारों के खात्मे की मांग करने का अधिकार है। उल्लेखनीय है कि 53 हजार की आबादी वाले मार्शल द्वीप समूह पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने दर्जनों परमाणु परीक्षण किए। इसके परिणामस्वरूप वहां के पर्यावरण पर घातक दुष्प्रभाव पड़ा है।
याचिका पर अप्रैल महीने में हुई सुनवाई में भारत ने तो अपना पक्ष रख दिया लेकिन चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका ने कोई जवाब नहीं दिया। मार्शल द्वीप ने इन सभी देशों को प्रतिवादी बनाया था। कहा था कि परमाणु अप्रसार संधि के बावजूद हथियार बनाने और उसके प्रसार पर रोक लगाने के लिए कुछ भी नहीं हो पा रहा है। ----
संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत ‘द इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस’ में मार्शल आइलैंड्स ने बताया कि परमाणु संपन्न देश परमाणु अप्रसार के लिए 1970 के संधि की शर्तों को पूरा नहीं कर रहे हैं।
वैसे परमाणु हथियारों की विनाशक परेशानी से इस देश का पुराना रिश्ता रहा है। महज 53 हजार की आबादी वाला यह छोटा देश मार्शल आईलैंड्स में अमेरिका की तरफ से दूसरे विश्वयुद्ध के बाद करीब दर्जनों बार परमाणु परीक्षण किया गया था।
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1946 से 1958 के बीच अमेरिका ने अपने परमाणु परीक्षणों के लिए प्रशांत महासागर में बसे इस छोटे से द्विपीय देश का इस्तेमाल किया था। यह वह समय था जब शीतयुद्ध की उठापटक शुरू हो रही थी। इन परीक्षणों का मारक असर आज भी वहां पर देखा जा सकता है।
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