यूक्रेन ने डाले हथियार, कहा- मॉस्को की ताकत हमसे ज्यादा
यूक्रेन ने अपने पड़ोसी रूस की ताकत के सामने हथियार डाल दिए हैं। देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति ओलेक्जेंडर तुर्चिनोव ने बुधवार को साफ कह दिया कि उनका देश सोवियत संघ के समय में साथी रहे रूस के साथ क्रीमिया प्रायद्वीप के लिए युद्ध नहीं करेगा। हालांकि यात्सेनयुक ने रूसी खतरे से निपटने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक

कीव। यूक्रेन ने अपने पड़ोसी रूस की ताकत के सामने हथियार डाल दिए हैं। देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति ओलेक्जेंडर तुर्चिनोव ने बुधवार को साफ कह दिया कि उनका देश सोवियत संघ के समय में साथी रहे रूस के साथ क्रीमिया प्रायद्वीप के लिए युद्ध नहीं करेगा। हालांकि यात्सेनयुक ने रूसी खतरे से निपटने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मदद मांगने की बात जरूर कही है।
विक्टर यानुकोविच को राष्ट्रपति पद से अपदस्थ किए जाने के बाद शुरू हुआ क्रीमिया संकट अब देश को विभाजन की दहलीज पर पहुंचा चुका है। रविवार को स्वायत्तशासी प्रांत की जनता यदि जनमत संग्रह में रूस के पक्ष में वोट डालती है तो क्रीमिया यूक्रेन से आजाद हो जाएगा। चूंकि क्रीमिया की आबादी में रूसी मूल के लोगों की संख्या ज्यादा है। इसलिए ऐसा होना बेहद आसान है। विक्टर तख्तापलट के बाद भागकर रूस की शरण में पहुंच गए हैं। वह वहां से खुद को वैध राष्ट्रपति बता रहे हैं और सेना से अपील की है कि वह अंतरिम सरकार के निर्णय को न माने।
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यूक्रेन के कार्यवाहक प्रधानमंत्री आर्सेनी यात्सेनयुक ने कहा कि हमारी सेना रूस के सामने बहुत छोटी है। उनके पास परमाणु हथियार हैं। इसलिए हमने काला सागर में मौजूद क्रीमिया को घेरने की कोशिश भी नहीं की। जबकि रूसी सैनिकों ने 22 फरवरी से ही वहां कब्जा जमाया हुआ है। यदि हम वहां हमला करेंगे तो हमारी पूर्वी सीमा सुरक्षित नहीं रह जाएगी। उन्होंने कहा कि क्रीमिया में ऐसी स्थितियों में जनमत संग्रह शर्मनाक कदम है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय दबाव को पूरी तरह नकार रहे हैं। हमने संकट के समाधान के लिए उनसे कई बार संपर्क किया मगर वे इसके लिए राजी नहीं। हमारी ओर से किए गए राजनयिक प्रयास बेकार साबित हुए हैं।
अमेरिका ने रूस के कई नागरिकों की संपत्ति जब्त की है। साथ ही यात्रा प्रतिबंध भी लगाया। मगर, यूरोपीय यूनियन पुतिन के खिलाफ कुछ खास नहीं कर पा रहा है। ईयू में शामिल कई देशों की वित्तीय और ऊर्जा जरूरतों को रूस पूरा करता है। रूस ने 2008 में तमाम दबाव के बावजूद जॉर्जिया में सेना भेजकर सफलतापूर्वक कार्रवाई की थी। इसलिए क्रीमिया की यूक्रेन से आजादी को भी फिलहाल कोई रोकता नहीं दिख रहा।

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