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    क्रीमिया ने रूसी संघ में शामिल होने के लिए किया मतदान

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    Updated: Thu, 06 Mar 2014 08:53 PM (IST)

    स्वायत्तशासी क्रीमिया की संसद ने बृहस्पतिवार को रूसी संघ में शामिल होने के पक्ष में सर्वसम्मति से मतदान किया। उसकी मॉस्को समर्थित सरकार ने प्रायद्वीप को लेकर जारी संकट के समाधान के लिए 16 मार्च को जनमत संग्रह कराने का फैसला किया है। वहीं यूक्रेन के वित्त मंत्री पावलो शेरेमेता ने क्रीमिया की स्थिति प

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    सिंफेरोपोल [यूक्रेन]। स्वायत्तशासी क्रीमिया की संसद ने बृहस्पतिवार को रूसी संघ में शामिल होने के पक्ष में सर्वसम्मति से मतदान किया। उसकी मॉस्को समर्थित सरकार ने प्रायद्वीप को लेकर जारी संकट के समाधान के लिए 16 मार्च को जनमत संग्रह कराने का फैसला किया है। वहीं यूक्रेन के वित्त मंत्री पावलो शेरेमेता ने क्रीमिया की स्थिति पर जनमत कराने को असंवैधानिक बताया है। इस प्रायद्वीप में रूसी मूल के लोगों की संख्या सर्वाधिक है और रूसी सेना ने यहां पर बिना किसी गोलीबारी के अपना नियंत्रण कायम कर लिया है।

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    क्रीमिया को औपचारिक रूप से मॉस्को शासन के अधीन लाने का त्वरित कदम यूरोपीय संघ के नेताओं द्वारा आपातकालीन शिखर सम्मेलन आयोजित करने के मद्देनजर उठाया गया है, जिसमें रूस से अपनी सेना वापस बुलाने और मध्यस्थता स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के तरीकों पर मंथन किया जाएगा।

    रूसी संघ में शामिल होने के मसले पर राजनयिकों का कहना है कि यह घोषणा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मंजूरी के बगैर नहीं हुई होगी। इसने शीत युद्ध खत्म होने के बाद पूर्व-पश्चिम देशों के बीच गंभीर टकराव को बढ़ावा दे दिया है। मॉस्को ने पश्चिमी देशों द्वारा क्रीमिया में अपनी सेना को सैन्य ठिकाने पर वापस भेजने के आग्रह को ठुकरा दिया था। जिसके बाद यूक्रेन में रूस के सैन्य हस्तक्षेप को लेकर यूरोपीय संघ के नेता उसे चेतावनी देने के लिए ब्रसेल्स में आयोजित शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं।

    सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे फ्रंास के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा, 'तनाव को कम करने के लिए रूस पर भारी दबाव बनाने का प्रयास होगा। बेशक अंतिम सहारा प्रतिबंधों का लिया जाएगा।' वहीं रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव उस बयान पर कायम रहे कि रूसी सैनिकों की वर्दी पर राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह होता है। क्रीमिया पर कब्जा करने वाले हथियार बंद लोगों की वर्दी पर कोई निशान नहीं है। इसलिए वह उन्हें वापस सैन्य ठिकाने पर जाने का आदेश नहीं दे सकते।

    यूक्रेन में तनाव बरकरार: यूक्रेन के दक्षिणी क्रीमिया क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के राजदूत को रूस समर्थक भीड़ ने घेर लिया और उन्हें देश से चले जाने को कहा। उधर, यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में रूस के खिलाफ ठोस कदम उठाने की संभावना नहीं दिख रही क्योंकि ब्रिटेन और जर्मनी उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं दिख रहे। बताते चलें कि रूस यूरोप का सबसे बड़ा गैस आपूर्तिकर्ता है। वहीं अमेरिका ने कहा है कि वह वीजा प्रतिबंध, रूसी अधिकारियों की संपत्ति को जब्त करने और व्यापार संबंधों पर रोक जैसे प्रतिबंध कुछ दिनों में लगाने के लिए तैयार है।

    ..इसलिए प्रतिबंध नहीं लग रहे: यूरोपीय संघ में शामिल 28 देशों ने रूस द्वारा यूक्रेन के काला सागर स्थित प्रायद्वीप पर कब्जा करने की निंदा की है। साथ ही वीजा उदारीकरण और आर्थिक सहयोग पर वार्ता स्थगित कर दी है। अगर पुतिन ने जल्द ही मध्यस्थता स्वीकार नहीं की तो कड़े कदम उठाने की चेतावनी दी है। हालांकि सभी आगे कदम उठाने से बच रहे हैं। दरअसल, फ्रांस ने रूस को युद्धपोत बेचने का सौदा किया है। फिलहाल वह इसे रद करने के लिए तैयार नहीं है। लंदन के बैंक रूसी निवेश से लाभ कमा रहे हैं। वहीं जर्मन कंपनियों ने रूस में 22 अरब डॉलर का निवेश किया है। गौरतलब है कि रूसी नागरिकों को खतरे का हवाला देकर वर्ष 2008 में जार्जिया और अब यूक्रेन में सैन्य हस्तक्षेप को पुतिन ने उचित बताया है।

    रूसी कार्रवाई का सीआइए को पहले से था आभास

    वाशिंगटन। अमेरिका के मौजूद और पूर्व सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि अभी तक यूक्रेन पर देश की खुफिया एजेंसियां गोपनीय जानकारी इकट्ठा करने को कम महत्व देती थीं जिसके परिणामस्वरुप हाल के घटनाक्रम पर उनकी सूचनाएं अपूर्ण रहीं।

    केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआइए) ने कहा कि वह परिदृश्य का खाका खींचने के लिए घटना पर करीब से पर्याप्त नजर रख रही है जिसमें पता चला था कि यूक्रेन में उथल पुथत इतनी बढ़ जाएगी कि रूस सैन्य कार्रवाई करेगा। दो राष्ट्रीय सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि सीआइए ने क्रीमिया प्रायद्वीप में रूस की सैन्य कार्रवाई के ठीक पहले देश के सांसदों को खासतौर पर आगाह किया था कि इस प्रकार की कार्रवाई आसन्न है। सूत्रों ने कहा कि हालांकि पेंटागन की रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआइए) को इसका आभास लगने की कम उम्मीद है। फिलहाल डीआइए ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि अधिकारियों का ये भी कहना है कि क्रीमिया में सेना भेजने से पहले रूस अपनी तैयारी और इरादे को छुपाने में कामयाब रहा। यदि अमेरिका को रूस की योजना की पूरी जानकारी होती तो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की कार्रवाई को पहले ही रोकने के लिए वह क्या कर सकता था, यह स्पष्ट नहीं है। पूर्व और मौजूदा सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि एक बड़ी समस्या अभी तक यह रही कि राष्ट्रपति बराक ओबामा और अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के लिए खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के मामले में यूक्रेन प्राथमिकता की सूची में नहीं था।

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