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    पहले 100 दिन अमेरिकी इतिहास का सबसे कामयाब वक्त : ट्रंप

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Sat, 29 Apr 2017 06:57 PM (IST)

    रेडियो के जरिये शुक्रवार को देश को संबोधित करते हुए उन्होंने दावा किया कि उनके कार्यकाल के पहले सौ दिन अमेरिकी इतिहास के सबसे सफल शुरुआती दिन हैं।

    पहले 100 दिन अमेरिकी इतिहास का सबसे कामयाब वक्त : ट्रंप

    वाशिंगटन, प्रेट्र : डोनाल्ड जॉन ट्रंप। यह नाम है 70 साल के उस शख्स का जो दुनिया की सबसे ताकतवर कुर्सी पर बैठा है। इस सफल कारोबारी ने पहली राजनीतिक पारी में ही अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी हासिल कर ली। 20 जनवरी को शपथ लेने वाले ट्रंप ने बतौर राष्ट्रपति सौ दिन पूरे कर लिए हैं। रेडियो के जरिये शुक्रवार को देश को संबोधित करते हुए उन्होंने दावा किया कि उनके कार्यकाल के पहले सौ दिन अमेरिकी इतिहास के सबसे सफल शुरुआती दिन हैं।

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    हालांकि सौ दिन के कार्यकाल के आधार पर किसी राष्ट्रपति का आकलन करना उचित नहीं है। फिर भी सौ दिन का वक्त इतना अरसा तो होता है कि हम समझ सकें कि राष्ट्रपति किस दिशा में बढ़ रहा है। तथ्य ट्रंप के इस दावे की चुगली करते हैं। कार्यकाल के पहले दिन से ही वे विवादों में हैं। मुस्लिम और प्रवासी विरोधी नीतियों के कारण दुनियाभर में उनकी आलोचना हो रही है। कई मुद्दों पर यू टर्न ले चुके हैं। हालिया सर्वेक्षण घर में भी तेजी से उनकी साख घटने का इशारा कर रहे हैं।

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    रेडियो संबोधन में कहा

    -14 हफ्तों में ही प्रशासन में बड़े बदलाव किए। नौकरियां वापस लाने में सफलता मिली।

    -अमेरिका तेज गति से आगे बढ़ रहा है, कंपनियों के प्रदर्शन में सुधार आया है।

    -मध्यम वर्ग और व्यापार के लिए टैक्स में बड़ी कटौती की तैयारी की जा रही है।

    -शपथ लेने के बाद से देश के आर्थिक विश्वास में उछाल आया है जो बीते नौ सालों में सबसे अधिक ऊंचाई पर है।

    -जनता और सरकार के बीच का रिश्ता मेरी सरकार में आया सबसे बड़ा आधारभूत बदलाव है।

    -ट्रंास पैसिफिक पार्टनरशिप से अलग होना अमेरिका के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इस कदम से दुनिया के देशों को संदेश गया कि अमेरिकी कामगारों को नुकसान पहुंचाने का समय अब समाप्त हो चुका है।

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    दावों में कितना दम

    -पहले सौ दिनों में 38 कामों का वादा किया था। लेकिन, केवल 10 को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़े। ज्यादातर के लिए कार्यकारी आदेश जारी किया।

    -ओबामाकेयर को रद करने का वादा किया था। कांग्रेस में इसके लिए पर्याप्त समर्थन जुटा नहीं पाए, जबकि उनकी रिपब्लिकन पार्टी बहुमत में है।

    -मुस्लिम बहुल देशों से आने वाले लोगों पर पाबंदी को लेकर दो बार कार्यकारी आदेश जारी किए। दोनों पर अदालत ने रोक लगा दी।

    -रूस से अच्छे संबंधों का वादा किया था। पर, सीरियाई एयरबेस पर मिसाइल हमलों के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है।

    -चुनाव अभियान के दौरान अंतरराष्ट्रीय सैन्य गठबंधन नाटो को अमेरिका पर बोझ बताया। रूस से तनाव बढ़ते ही नाटो के मुरीद हो गए।

    -जिस चीन पर प्रचार के दौरान अमेरिकी लोगों की नौकरियां चुराने, मुद्रा से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया उसके राष्ट्रपति को अब अपना अच्छा दोस्त बता रहे हैं। व्यापारिक संधि की बात कर रहे हैं और उत्तर कोरिया पर अंकुश लगाने के लिए उससे मदद मांग रहे हैं।

    -सर्वेक्षण बताते हैं कि 53 फीसद अमेरिकी नागरिक ट्रंप के कामकाज से खुश नहीं हैं। 42 फीसद लोग अब तक के कार्यकाल से संतुष्ट हैं।

    -कामकाज पर संतोष जताने वाले युवाओं की संख्या केवल 32 फीसद है। आर्थिक हालात से निपटने के उनके तौर-तरीकों से 37 फीसद युवा ही सहमत हैं।

    -राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रंप 489 ट्वीट कर चुके हैं। उनके पूर्ववर्ती बराक ओबामा ने पूरे कार्यकाल में केवल 342 ट्वीट किए थे। 68 फीसद युवाओं का मानना है कि राष्ट्रपति के लिए इतना ट्वीट करना सही नहीं है।

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