आर्कटिक के तापमान में 20 डिग्री की वृद्धि
आर्कटिक में तो तापमान सामान्य से 20 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया है। यह दावा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के शोधकर्ताओं ने किया है।
बढ़ती ग्लोबल वार्मिग से 2016 अब तक का सबसे गर्म साल साबित हो रहा है। इस बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण आर्कटिक सागर की तो बर्फ कम हुई ही है, साथ ही अब इसका असर अंटार्कटिका के सागर पर भी देखने को मिल रहा है। दोनों ही स्थानों पर जमा बर्फ में 1979 के मुकाबले रिकॉर्ड कमी आई है। आर्कटिक में तो तापमान सामान्य से 20 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया है। यह दावा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के शोधकर्ताओं ने किया है।
अंटार्कटिका में पहली बार
शोधकर्ताओं के मुताबिक आर्कटिक सागर में तो बर्फ का क्षेत्रफल पहले भी कई बार घटता रहा है। लेकिन इस बार अंटार्कटिका के सागर की बर्फ में जो कमी देखने को मिली है, वो अत्यधिक चिंतनीय है। आर्कटिक में पिछले दशक के मुकाबले बर्फ का क्षेत्रफल तेजी से घटा है। वहीं अंटार्कटिका में यह प्रक्रिया तेजी से बढ़ रही है।
आर्कटिक की स्थिति
2012 में आर्कटिक सागर की बर्फ का फैलाव 33.9 लाख वर्ग किमी तक सिमट गया था। वहीं इस साल 16 सितंबर को यह फैलाव 41.4 लाख वर्ग किमी में था। यह सामान्य से कम है।
वैश्विक मौसम पर पड़ेगा असर
आर्कटिक और अंटार्कटिका के सागर की बर्फ के फैलाव क्षेत्र के घटने से वैश्विक मौसम में भी बदलाव आएगा। आर्कटिक में तो शोधकर्ताओं को हवा का तापमान सामान्य से 20 डिग्री सेल्सियस अधिक देखने को मिला है। ऐसी ही स्थिति पानी के तापमान की है। वहां बर्फ घटने का यही कारण है।
अक्टूबर की शुरुआत से ही पहली बार आर्कटिक और अंटार्कटिका के सागर की बर्फ रिकॉर्ड निम्न स्तर पर रही। - वाल्ट मियर, शोधकर्ता, गोदार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर, नासा
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