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सुधर नहीं सकता है चीन, दोस्ती की बातें-दुश्मनी के पैंतरे

दोस्ती की मीठी बातों और सीमा पर आक्रामक चालों के साथ चीन के नए पैंतरे भारत की चिंता बढ़ा रहे हैं। मार्च में चीन में नेतृत्व परिवर्तन के बाद राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने आते ही भारत के साथ अच्छे रिश्तों की अहमियत जताई। कुछ ही हफ्तों बाद चीन की सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय हद में तंबू गाड़ दिए।

By Edited By: Published: Sat, 06 Jul 2013 09:22 AM (IST)Updated: Sat, 06 Jul 2013 10:31 AM (IST)

नई दिल्ली। दोस्ती की मीठी बातों और सीमा पर आक्रामक चालों के साथ चीन के नए पैंतरे भारत की चिंता बढ़ा रहे हैं। मार्च में चीन में नेतृत्व परिवर्तन के बाद राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने आते ही भारत के साथ अच्छे रिश्तों की अहमियत जताई। कुछ ही हफ्तों बाद चीन की सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय हद में तंबू गाड़ दिए। सीमा पर तनाव घटाने के लिए सात साल बाद हो रहे भारतीय रक्षा मंत्री के दौरे से ठीक पहले चीन के सेना के एक जनरल के आग उगलते बयान ने चीन की नीयत पर सवालों को बढ़ाया ही है।

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आधिकारिक तौर पर भारतीय खेमे ने इस बयान को जहां अधिक तूल देने से परहेज किया वहीं चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग भी इस बाबत हुए सवालों को टाल गईं।

उल्लेखनीय है कि चीन सेना के मेजर जनरल लुओ युआन ने भारत को सीमा पर सैन्य विकास न करने और उकसावे की किसी कार्रवाई कर नई समस्या पैदा करने को लेकर चेताया। साथ ही बड़बोले जनरल ने भारत पर चीन के 90 हजार वर्ग किमी क्षेत्र पर कब्जे की भी तोहमत जड़ी।

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भारतीय सामरिक विशेषाों का मानना है कि इस बयान को पूरी तरह नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। रक्षा जानकार कमोडोर उदय भास्कर कहते हैं कि चीनी जनरल के बयान को ध्यान में रखते हुए एंटनी की यात्र के बाद संभावित संयुक्त वक्तव्य पर नजर रखने की जरूरत है।

महत्वपूर्ण है कि चीन की ओर से जम्मू-कश्मीर को विवादित इलाका बताने व वहां के नागरिकों को नत्थी वीजा देने से लेकर संबंध सुधार की यात्र पर जाने वाले भारतीय सेना के एक जनरल को वीजा से इन्कार जैसी घटनाएं होती रही हैं। चीन के ताजा बयान पर पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि इस संबंध में चीन से स्पष्टीकरण मांगा जाना चाहिए। यदि चीन इस बारे में संतोषजनक जवाब नहीं देता को रक्षा मंत्री एंटनी को अपनी यात्र बीच में ही छोड़ लौटा आना चाहिए।

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