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संस्कृत के पास है दुनिया की मौजूदा परेशानियों का हलः सुषमा

दिल्ली में राजपथ पर योग के प्रदर्शन के बाद भारत अब अपनी विरासत की ताकत का अहसास दूसरे मुल्कों में भी कराने को तैयार है। आज थाइलैंड की राजधानी बैंकाक में 16वां विश्व संस्कृत सम्मलेन शुरू हो गया। विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने संस्कृत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसके

By Sachin kEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2015 12:23 AM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2015 11:16 AM (IST)
संस्कृत के पास है दुनिया की मौजूदा परेशानियों का हलः सुषमा

बैंकाक। दिल्ली में राजपथ पर योग के प्रदर्शन के बाद भारत अब अपनी विरासत की ताकत का अहसास दूसरे मुल्कों में भी कराने को तैयार है। आज थाइलैंड की राजधानी बैंकाक में 16वां विश्व संस्कृत सम्मलेन शुरू हो गया। विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने संस्कृत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसके उत्थान के लिए प्रस्तावित योजनाओं और कार्यक्रमों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि संस्कृत के पास दुनिया की मौजूदा परेशानियों का हल है। विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि विदेश मंत्रालय में संस्कृत के लिए एक संयुक्त सचिव का पद गठित करने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संस्कृत में योगदान के लिए ICCR की ओर से 'अंतरराष्ट्रीय संस्कृत अवॉर्ड' दिया जाएगा।

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सम्मेलन में भारत से 250 विद्वानों सहित 60 देशों से 600 से अधिक विद्वान हिस्सा ले रहे हैं। दो जुलाई को समापन कार्यक्रम में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी भी उपस्थिति होंगी।

सुषमा यहां पहुंचने के बाद वह प्रवासी भारतीयों से मिलीं। उन्होंने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की बात सुनती है। साथ ही प्रवासी भारतीयों से 'माटी का कर्ज' चुकाने का भी आह्ववान किया।

दोहरा कराधान से बचने की संधि पर करेंगी हस्ताक्षर
अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान सुषमा, थाइलैंड के साथ द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा तथा उन्हें सुदृढ़ करने के उपायों पर भी चर्चा करेंगी। वह प्रत्येक चार वर्ष में होने वाली भारत-थाइलैंड संयुक्त आयोग की बैठक की सह अध्यक्षता करेंगी। बैठक में दोनों देशों के बीच दोहरे कराधान से बचने की संधि पर हस्ताक्षर होने के अलावा द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि की पुष्टि और उसके दस्तावेजों के आदान-प्रदान का कार्य हो सकता है। प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर वर्ष 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान किए गए थे। थाइलैंड नालंदा विश्वविद्यालय के समझौते पर भी हस्ताक्षर कर सकता है।

थाइ विश्वविद्यालयों में आयुर्वेद विषय पर भी एमओयू संभव
ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि थाइलैंड के विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में आयुर्वेद को रखने को लेकर एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। सुषमा संस्कृत विद्वान और विश्व संस्कृत सम्मेलन की शाही संरक्षक राजकुमारी महाचकरी श्रीनिधोरन के साथ भी औपचारिक बैठक करेंगी। सोमवार को वह थाइलैंड के शीर्ष राजनीतिज्ञों के साथ-साथ वहां के उप प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री जनरल तानसेक पतिमाप्रागोर्न से भी मुलाकात करेंगी।

पढ़ेंः नायडू ने किया सुषमा का बचाव


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