भारतीय वैज्ञानिक ने खोजा मलेरिया के उपचार का नया तरीका
वाशिंगटन। भारतीय मूल के वैज्ञानिक प्रोफेसर नीरज टोलिया ने मलेरिया के उपचार का एकदम नया कारगर तरीका खोजा है। उन्होंने पता लगाया है कि मलेरिया का परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं पर किस तरह हमला करता है। यह परजीवी विशेषतौर पर भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। इस खोज से मलेरिया का टीका तैयार करने में काफी मदद मिल सकत
वाशिंगटन। भारतीय मूल के वैज्ञानिक प्रोफेसर नीरज टोलिया ने मलेरिया के उपचार का एकदम नया कारगर तरीका खोजा है। उन्होंने पता लगाया है कि मलेरिया का परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं पर किस तरह हमला करता है। यह परजीवी विशेषतौर पर भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। इस खोज से मलेरिया का टीका तैयार करने में काफी मदद मिल सकती है। यह शोध जर्नल पीएलओएस पैथजन में प्रकाशित हुआ है।
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सेंट लुई स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की शोध टीम के प्रमुख प्रोफेसर टोलिया के मुताबिक, प्लाजमोडियम वीवेक्स नाम का मलेरिया परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं पर दो प्रोटीन छोड़ता है। इससे कोशिका पर हमला करना आसान हो जाता है। मॉलिक्यूल बायोलॉजी, बायोकैमेस्ट्री और मॉलिक्यूल बायोफिजिक्स के प्रोफेसर टोलिया ने कहा, अन्य परजीवियों की तुलना में प्लाजमोडियम वीवेक्स परजीवी के कारण ज्यादा लोग मलेरिया का शिकार होते हैं। हम अपनी खोज के नतीजों का इस्तेमाल कारगर टीका बनाने में कर रहे हैं।
उन्होंने बताया, प्लाजमोडियम वीवेक्स लीवर में छिप कर रहता है और कई वर्षो बाद उभर कर सामने आता है। इससे नए संक्रमण पैदा होते हैं जिनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। इनका इलाज भी अपेक्षाकृत मुश्किल होता है। इससे पहले के शोध में दावा किया गया था कि पी वीवेक्स लाल रक्त कोशिका पर एक ही प्रोटीन छोड़ता है। नए शोध में पता चला है कि यह परजीवी दो प्रोटीन छोड़ता है। यह रासायनिक प्रक्रिया काफी जटिल होता है जिसे अब से पहला समझा नहीं जा सका था।
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