चीन-पाक आर्थिक गलियारे पर भारत के ऐतराज को रूस ने किया नजरंदाज
सीपीईसी पर भारत के ऐतराज के बाद रूस ने कहा कि वो इस मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता है। इस गलियारे से क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली(जेएनएन) । चीन-पाक आर्थिक गलियारे का रूस ने समर्थन किया है। रूस के मुताबिक इस गलियारे से यूरेशियन आर्थिक संगठन को जबरदस्त फायदा होगा। पाकिस्तान में रूस के राजदूत एलेक्सी डी डेडोव ने कहा कि सीपीईसी से न केवल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाने में मदद मिलेगी। लेकिन रूस के इस तरह के रूख से भारत में चिंता बढ़ना स्वभाविक है।
रूस -पाक एक साथ !
जानकारों का कहना है कि रूस जिस तरह से पाकिस्तान के करीब आ रहा है,उन हालातों में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अलग-थलग करना मुश्किल होगा।बलूचिस्तान में स्थित ग्वादर पोर्ट और चीन में जिनजियांग को ये गलियारा जोड़ता है। खास बात ये है कि ये गलियारा गुलाम कश्मीर के गिलगिट-बाल्टिस्तान से गुजरता है, जिस पर भारत दावा करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीपीईसी के मुद्दे पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कई दफा ऐतराज जता चुके हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि नवंबर महीने में रूस ने कहा था कि उनका सीपीईसी से कुछ लेनादेना नहीं है, मास्को किसी भी रूप में चीन-पाक आर्थिक गलियारे से जुड़ने जा रहा है। लेकिन रूस के राजदूत के बयान के बाद भारतीय खेमे में चिंता बढ़ना स्वाभाविक है।
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रूस-भारत में बढ़ सकती है दूरी
विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि रूस द्वारा इस तरह के संदेश के बाद नई दिल्ली और मास्को में अविश्वास का माहौल कायम हो सकता है, जो पहले के संबंधों से हटकर होगा। जानकारों का ये भी कहना है कि अगर मास्को को ये लगने लगेगा कि भारत अब उतना विश्वासी नहीं रहा तो उसका झुकाव उन देशों या समूहों के साथ होगा जो भारत की आर्थिक तरक्की में राह का रोड़ा बनते हैं।
रूस ने तालिबान का किया समर्थन
रूस ने हाल ही में ये भी कहा था कि अफगानिस्तान में आइएस के प्रभाव को खत्म करने के लिए तालिबान के कुछ गुटों को साथ लेकर चला जा सकता है। हालांकि भारत साफ-साफ ये कहता रहा है कि रूस के साथ उसके रिश्ते पहले की ही तरह प्रगाढ़ हैं,मास्को के साथ संबंध में किसी तरह की नरमी नहीं आयी है। तालिबान को समर्थन देने के मुद्दे पर भारत पहले ही रूस से अपना विरोध जता चुका है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि एक आतंकी संगठन पर लगाम लगाने के लिए दूसरे आतंकी संगठन को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है। आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए एक साझा सोच पर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
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रूस का ये ताजा बयान भारत के संबंधों में खटास पैदा करने वाला ये दूसरा कदम है। उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान और रूस के साझा सैन्य अभ्यास पर भारत ने ऐतराज जताया था। लेकिन रूस ने भारत की आपत्ति को दरकिनार करते हुए कहा कि ये सैन्य अभ्यास आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान को मदद करने जैसा था।
ब्रिक्स में रूस नहीं दिखा साथ
गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भी रूस ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान का नाम खुलकर लेने से इंकार कर दिया था। चीन के दबाव में रूस ने भारत की मांग के बाद भी लश्कर और जैश का नाम लेने से बचता रहा। हालांकि रूस ये बार बार कहता रहा है कि भारत की कीमत पर वो पाकिस्तान की मदद नहीं करेगा। अमृतसर में आयोजित हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन के दूत जामिर काबुलोव ने कहा था कि भारत-यूएस संबंधों से रूस को ऐतराज नहीं है। ठीक वैसे ही भारत को भी रूस-पाक रिश्ते से परेशान नहीं होना चाहिए।
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