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    स्विट्जरलैंड ने किया NSG में भारत के समर्थन का वादा, मोदी ने कहा शुक्रिया

    By kishor joshiEdited By:
    Updated: Tue, 07 Jun 2016 09:37 AM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कतर में अपने कार्यक्रम पूरे होने के बाद स्विट्जरलैंड के जिनेवा पहुंच गए हैं।

    जिनेवा (जेएनएन)। अपनी पांच देशों की यात्रा के तीसरे पड़ाव के तहत आज स्विट्जरलैंड पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय सहयोग को गहरा करने के लिए स्विस राष्ट्रपति योहान शींडर अम्मान के साथ बैठक की। बैठक के बाद स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति अम्मान ने कहा कि हम NSG में सदस्यता हासिल करने के लिए भारत की मदद करेंगे। अम्मान के इस बयान के बाद पीएम मोदी ने कहा कि, मैं एनएसजी पर समर्थन देने के लिए राष्ट्रपति का धन्यवाद अदा करता हूं।उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान काले धन के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। पीएम ने भारत और स्विट्जरलैंड के मजबूत संबंधों का उल्लेख करते हुए मार्टिना हिंगिस की सानिया मिर्जा और महेश भूपति से जोड़ी का जिक्र भी किया।

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    ये भी पढ़ेंः क्या है एनएसजी और भारत के लिए इसकी सदस्यता क्यों है जरूरी

    इससे पहले दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के दौरान दोनों देशों के आपसी हित के मुद्दों पर बात की गई। दविपक्षीय वार्ता के बाद राष्ट्रपति अम्मान और प्रधानमंत्री मोदी के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई जिसमें भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल सहित दोनों पक्षों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक के बाद पीएम मोदी ने वहां के शीर्ष कारोबारियों से भी मुलाकात की।

    इससे पहले पीएम मोदी ने शनिवार को अफगानिस्तान की यात्रा की थी। वह कतर की दो दिनों की यात्रा के बाद यहां पहुंचे।

    पढ़ें: कतर के बाद जेनेवा पहुंचे PM, काला धन समेत दूसरे मुद्दों पर होगी बात

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, "जिनेवा, स्विट्जरलैंड के सुंदर शहर में कल रात आगमन के साथ ही प्रधानमंत्री की यात्रा के तीसरे पड़ाव की शुरुआत हो गई।"

    बुधवार को पहुंचेंगे मैक्सिको

    मोदी अपने पांच देशों की यात्रा के अंतिम पड़ाव में बुधवार को मैक्सिको पहुंचेंगे और वहां जाने का मकसद भी एनएसजी ही है। दरअसल, मैक्सिको और स्विटजरलैंड दो ऐसे देश हैं जो अभी तक भारत के एनएसजी में शामिल होने के सख्त खिलाफ रहे हैं। इन दोनों का कहना है कि सिर्फ परमाणु अप्रसार संधि करने वाले देशों को ही इस समूह में शामिल किया जाना चाहिए। लेकिन भारत ने अभी तक इस संधि को स्वीकार नहीं किया है।अब देखना है कि स्विटजरलैंड की तरह मैक्सिको भी मोदी को एनएसजी की वोटिंग में भारत के पक्ष में मतदान करने का वादा करता है या नहीं।

    भारत ने 12 मई को किया था आवेदन

    एनएसजी की सदस्यता पाने के लिए भारत ने पिछले महीने की 12 तारीख को आवेदन किया है। इस पर इसी महीने वोटिंग होनी है। अभी तक भारत का विरोध करने वाले कई देश भारत के समर्थन में आ चुके हैं। मसलन, आस्ट्रेलिया व जापान। एनएसजी की सदस्यता के लिए वोटिंग दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल में होगी। लेकिन उसके पहले सदस्य देशों की विएना में एक अहम बैठक होनी है।

    चीन है सबसे बड़ी अड़चन

    भारत को इसका सदस्य बनने के लिए हर सदस्य के समर्थन की जरुरत है। कई छोटे देशों को भारत ने अपने पक्ष में कर लिया है लेकिन चीन सबसे बड़ी अड़चन है। वह खुलेआम भारत के इस समूह में शामिल होने का विरोध कर चुका है। लेकिन चीन के अलावा न्यूजीलैंड, आस्टि्रया व आयरलैंड जैसे छोटे लेकिन परमाणु हथियारों के कट्टर विरोधी देश भी भारत के समीकरण को बिगाड़ सकते हैं।

    भारत के समर्थन में है अमेरिका

    भारतीय पक्ष में फिलहाल सबसे बड़ी बात यह है कि अमेरिका खुल कर उसके साथ है। भारत के इसमें शामिल होने का विरोध कर रहे पाकिस्तान व चीन को झिड़की लगाते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने पिछले दिनों कहा था कि भारत को इसमें परमाणु ऊर्जा की वजह से लाया जा रहा है नहीं कि परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ाने के लिए। देखना है कि अमेरिका का साथ कितना असर दिखाता है।

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