अमेरिका पर भी पेरिस जैसे हमले का अंदेशाः जॉन ब्रेनन
खुफिया जानकारी के अभाव के चलते पेरिस पर आतंकी हमला हुआ और अब वैसा ही हमला अमेरिका पर होने का खतरा मंडरा रहा है। आइएस की तरफ से पश्चिमी देशों पर रासायनिक हमले का भी खतरा है।
वाशिंगटन। खुफिया जानकारी के अभाव के चलते पेरिस पर आतंकी हमला हुआ और अब वैसा ही हमला अमेरिका पर होने का खतरा मंडरा रहा है। आइएस की तरफ से पश्चिमी देशों पर रासायनिक हमले का भी खतरा है। यह बात अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के निदेशक जॉन ब्रेनन ने एक न्यूज चैनल से साक्षात्कार में कही है।
ब्रेनन ने कहा, पेरिस हमले में शामिल ज्यादातर हमलावर फ्रांसीसी थे। वे आइएस से प्रशिक्षण लेने सीरिया गए। वहां से वापस लौटे और उन्होंने छह स्थानों पर हमला करके 130 लोग मार डाले। खुफिया तंत्र ने अगर समय रहते संदिग्ध लोगों की गतिविधियों पर ध्यान दिया होता तो पेरिस हमले से बचा जा सकता था। सीआइए प्रमुख ने कहा कि आतंकी संगठन आइएस बहुत कुछ ऐसा कर रहा है जो अमेरिका की जानकारी में नहीं है।
हम जान रहे हैं कि खतरा बढ़ा हुआ है। आइएस अपने लिहाज से कुछ खास करना चाह रहा है। अपनी साजिश को अंजाम तक पहुंचाने के लिए वह बहुत ज्यादा उन्नत तकनीकी और संवाद सुविधा का इस्तेमाल कर रहा है। साइबर दुनिया ने आतंकी हमलों के खतरे को और बढ़ा दिया है।
ब्रेनन के अनुसार आइएस अपने हमलों के लिए स्थानीय लोगों और वहीं की वस्तुओं के इस्तेमाल की साजिश रच रहा है। इसलिए आने वाले समय में और भी हमले हो सकते हैं। लेकिन हम अपने संसाधनों और सतर्कता से उन हमलों से होने वाले नुकसान को बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के हमले अमेरिका में भी हो सकते हैं। आइएस अपने लाभ के लिए मुस्लिम समुदाय और पश्चिमी देशों के बीच टकराव पैदा कर सकता है। इससे उसे अमेरिका को लेकर यह दावा करने में आसानी होगी कि वह मुस्लिमों के देशों पर कब्जा करना चाह रहा है।
सीआइए प्रमुख ने कहा, खुफिया एजेंसी ने इराक और सीरिया में ही नहीं बल्कि यूरोप के कई देशों में भी आतंकी हमले की साजिश को अपनी पूर्व सूचनाओं से असफल किया है। लेकिन पेरिस की असफलता ने आइएस को हम और असाल्ट राइफलों के इस्तेमाल का मौका दिया।
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