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    पाक आर्मी चीफ के नापाक बोल, कश्मीरियों को देते रहेंगे नैतिक समर्थन

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Wed, 07 Sep 2016 01:44 PM (IST)

    पाक आर्मी चीफ जनरल राहील शरीफ ने कहा कि युद्ध में पाकिस्तान को हराना नामुमकिन है। उसकी सुरक्षा अब अजेय है।

    इस्लामाबाद, (पीटीआई)। पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर मामले में दखल दिया है। पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल राहील शरीफ ने कश्मीर पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि कश्मीर पाकिस्तान के 'गले की नस' है। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद कूटनीतिक और नैतिक तौर पर कश्मीर के लोगों की मदद करता रहेगा।

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    पाकिस्तान के रक्षा दिवस के मौके पर रावलपिंडी में जनरल हेडक्वार्टर्स में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा 'हम कश्मीर के लोगों के बलिदान को सलाम करते हैं। मुद्दे का हल इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों को लागू करने में निहित है। पाकिस्तान कश्मीर का कूटनीतिक और नैतिक मोर्चों पर समर्थन जारी रखेगा।'

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    पाकिस्तान को हराना नामुमकिन

    राहील शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान को हराना नामुमकिन है। उन्होंने कहा मैं सभी दुश्मनों को बताना चाहता हूं कि पाकिस्तान की सुरक्षा पहले से ही मजबूत थी। लेकिन, अब यह अजेय है।

    इकोनॉमिक कॉरिडोर पाक-चीन की दोस्ती का सबूत

    राहील शरीफ ने पाकिस्तान-चीन की दोस्ती पर कहा कि आपसी सम्मान पर आधारित संबंध का सबसे बड़ा उदाहरण है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) इस दोस्ती का सबसे बड़ा सबूत है। हम किसी भी बाहरी ताकत को इस कॉरिडोर के बनने के रास्ते में नहीं आने देंगे और जो भी इसमें बाधक बनेगा उससे सख्ती से निपटेंगे।

    क्या है सीपीईसी और इसके फायदे?

    चीन साल 2015 से पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) बना रहा है। इस कॉरिडोर से कई बिलियन डॉलर के इन्वेस्टमेंट की उम्मीद है। सीपीईसी के बुनियादी ढांचे और ऊर्जा परियोजनाओं के जरिए 46 अरब डॉलर के निवेश की उम्मीद है। अगर ये पूरा होता है तो इसके जरिए तीन हजार किलोमीटर के सड़क नेटवर्क तैयार के साथ-साथ रेलवे और पाइपलाइन लिंक भी पश्चिमी चीन से दक्षिणी पाकिस्तान को जोड़ेगा।

    ये कॉरिडोर बलूचिस्तान प्रांत से होकर गुजरेगा, जहां दशकों से लगातार अलगाववादी आंदोलन चल रहे हैं। इसके साथ-साथ गिलगिट-बल्टिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का इलाका भी शामिल है। पाकिस्तान को उम्मीद है कि दो हिस्सों में बनने वाले इस प्रोजक्ट के जरिए उन्हें वित्तीय विकास और ऊर्जा उत्पादन में सहायता मिलेगी।

    जबकि चीन को उम्मीद है कि इस कॉरिडोर के जरिए वह अपनी ऊर्जा को तेजी से फारस की खाड़ी तक पहुंचा सकता है। वहीं, कॉरिडोर के जरिए पश्चिमी चीन में वित्तीय विस्तार मिलने की उम्मीद है, जो कि बंद इलाका है। इसके साथ-साथ चीन की योजना अपने गिलगिट-बल्टिस्तान में अपने पैर जमाने की है, जहां लगातार अलगाववादी आंदोलन हो रहे हैं।

    सीपीईसी प्रोजेक्ट के लिए पाकिस्तान में मौजूद चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए करीब 17 हजार पाकिस्तानी सैनिक तैनात किए गए हैं। इस प्रोजेक्ट को जून 2018 में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है।

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