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    पाकिस्‍तान में टीचर भी ले रहे हथियार चलाने की ट्रेनिंग

    By T empEdited By:
    Updated: Mon, 02 Feb 2015 05:03 PM (IST)

    इसे विडंबना ही कहेंगे कि जो शिक्षक विद्यार्थियों के हाथों में कलम थमाते हैं, आज उन्‍हें खुद हाथों में हथियार उठाने पड़ रहे हैं। पेशावर आर्मी स्कूल में आतंकी हमले के बाद वहां के शिक्षक हथियार चलाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं। यही नहीं प्रांतीय सरकार ने शिक्षकों को स्कूल

    पेशावर। इसे विडंबना ही कहेंगे कि जो शिक्षक विद्यार्थियों के हाथों में कलम थमाते हैं, आज उन्हें खुद हाथों में हथियार उठाने पड़ रहे हैं। पेशावर आर्मी स्कूल में आतंकी हमले के बाद वहां के शिक्षक हथियार चलाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं। यही नहीं प्रांतीय सरकार ने शिक्षकों को स्कूल में हथियार रखने की इजाजत भी दे दी है।

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    गौरतलब है कि 16 दिसंबर को तालिबान आतंकियों ने स्कूल में धावा बोलकर 150 लोगों (जिनमें ज्यादातर बच्चे थे) को मौत के घाट उतार दिया था। कुछ शिक्षक भी आतंकियों की गोलियों का शिकार बने थे। हमले के दौरान आतंकियों के सामने असहाय दिखे स्कूल के अध्यापक अब इस तस्वीर को बदलना चाहते हैं। स्थानीय सरकार ने भी 16 दिसंबर की घटना को देखते हुए शिक्षकों को हथियार रखने की इजाजत दी है।

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    हालांकि, कुछ शिक्षाविद् इस कदम को बिना सोच-विचार कर उठाया गया कदम मान रहे हैं। उनका कहना है कि अध्यापकों के हाथ में कलम होती है, हथियार नहीं। सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए।

    दूसरी ओर बहुत से अध्यापकों को लगता है कि अब इन परिस्थितियों में बिना हथियार के जाने का कोई विकल्प नहीं बचा है। फ्रंटियर कॉलेज फॉर वीमन की 37 वर्षीय ताबिंदा और उनकी दस सहकर्मियों को अपनी नई भूमिका पर गर्व है और आपातकालीन स्थिति में वे अपने छात्रों की सहायता के लिए योजनारत हैं। इस सवाल पर कि क्या वे आतंकियों को मार सकेंगी? ताबिंदा ने बड़ी साफगोई से कहा, 'ईश्वर चाहेगा तो मासूमों की जान लेने वालों को मैं मार दूंगी।'

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    इस मुद्दे पर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के उच्चतर शिक्षा मंत्री मुश्ताक गनी ने कहा कि कैबिनेट तार्किक आधार पर शिक्षकों को सशस्त्र करने के पक्ष में है। क्षेत्र की 65,000 पुलिस करीब 50 हजार स्कूलों को सुरक्षा देने में सक्षम नहीं है। आतंकियों को पता होना चाहिए कि स्कूल असहाय नहीं हैं। सशस्त्र अध्यापक आतंकियों को रोक सकते हैं और पुलिस तथा सुरक्षाबलों को पहुंचने का समय मिल सकता है। कुछ अध्यापक जिनके पास लाइसेंस और हथियार चलाने का प्रशिक्षण है, वे अपने साथ हथियार लाना शुरू भी कर चुके हैं।