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US मीडिया ने माना, भारत के दबाव को अधिक नहीं झेल पाएगा पाकिस्‍तान

यूएस मीडिया का कहना है कि यदि पाकिस्‍तान ने आतंकियों को हथियार देकर भारत में भेजना बंद नहीं किया तो भारत के पास सैन्‍य कार्रवाई की मजबूत वजह होगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 28 Sep 2016 09:59 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2016 02:20 PM (IST)
US मीडिया ने माना, भारत के दबाव को अधिक नहीं झेल पाएगा पाकिस्‍तान

वाशिंगटन (पीटीअाई)। अमेरिकी मीडिया का मानना है कि उड़ी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंध बेहद निचले स्तर पर आ गए हैं। यूएस मीडिया के मुताबिक भारत द्वारा उठाए गए कदमों को पाकिस्तान ज्यादा लंबे समय तक झेल नहीं सकेगा। वहीं यदि पाकिस्तान ने भारत की बातें नहीं मानी तो भारत उसको विश्व से अछूता कर देगा।

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मीडिया में आई खबरों के मुताबिक भारत ने इस मामले में बेहद संयम का परिचय दिया है लेकिन पाकिस्तान इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान को अलग-थलग करने की प्रक्रिया शुुरू भी कर दी है। एक अखबार ने अपने ओपेनियन के तहत इस तरह के विचार व्यक्त किए हैं। अखबार में पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए लिखा है कि यदि पाकिस्तानी सेना ने आतंकियों को हथियार देकर भारतीय सीमा में भेजने की कोशिश बंद नहीं की तो भारत के पास पाकिस्तान के ऊपर सैन्य कार्रवाई करने की मजबूत वजह होगी।

यूएस मीडिया ने इस संबंध में भारत और पीएम मोदी की जमकर तारीफ की है। इसके अलावा यह भी कहा है कि भारत ने इस तरह की विपरीत परिस्थितियों में हमेशा से ही संयम का परिचय दिया है, फिर चाहे देश में कांग्रेस की सरकार रही हो या फिर भाजपा की सरकार हो। भारत सरकार ने हमेशा ही सामरिक संयम को बनाए रखा है। लेकिन पाकिस्तान हमेशा से ही आतंकवाद को खत्म करने के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बचता आया है।

सिंधु जल संधि टूटी तो भारत यहां करेगा इसके पानी का इस्तेमाल

अखबार ने यह भी लिखा है कि भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए पहली बार 1960 में हुए सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार करने का फैसला लिया है। इसके अलावा भारत पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का भी दर्जा वापस ले सकता है, जिससे उसे व्यापारिक स्तर पर काफी नुकसान होगा। यह दर्जा भारत ने उसे 1996 में दिया था।

स्टिम्सन सेंटर के साउथ एशिया कार्यक्रम के उपनिदेशक समीर लालवानी ने ‘फॉरेन अफेयर्स’ में प्रकाशित एक लेख में कहा कि उरी हमले के मद्देनजर भारतीय नीति निर्माओं की स्वाभाविक नाराजगी एवं निराशा बड़ी सैन्य कार्रवाई के लिए गति बना रही है। लालवानी ने कहा, ‘‘लेकिन इस कार्रवाई के लिए दलीलें ,भले ही सही नहीं हों, लेकिन बड़ी चर्चा का विषय हैं।’’ उन्होंने कहा कि बड़ी सैन्य प्रतिक्रिया बदले की इच्छा को संतुष्ट कर सकती है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह भारत सरकार के राजनीतिक हितों, विश्वसनीयता, प्रतिष्ठा के संदर्भ में कारगर होंगी या नहीं।

कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के जॉर्ज पेरकोविच ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लक्ष्यों के खिलाफ छोटे स्तर पर ‘जैसे को तैसा’ की कार्रवाई करने के बजाए भारत के लिए सबसे कारगर तरीका यह है कि वह पाकिस्तान को दंडित करने के लिए पर्याप्त राजनीतिक और आर्थिक दबाव बनाने के वास्ते शेष दुनिया को राजी करे ।


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