Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ‘1971 नरसंहार के मुजरिम बांग्लादेश से मांगे माफी’

    By Monika minalEdited By:
    Updated: Wed, 02 Aug 2017 03:47 PM (IST)

    कवि अहमद सलीम ने 1971 के जनसंहार के लिए पाकिस्‍तान को बांग्‍लादेश से माफी मांगने और इसके दोषियों को सजा देने का आग्रह करते हुए बांग्‍लादेश की युवा पीढ़ियों से आगे आने की अपील की है।

    Hero Image
    ‘1971 नरसंहार के मुजरिम बांग्लादेश से मांगे माफी’

    ढाका (एएनआई)। पाकिस्‍तान के लोकप्रिय कवि अहमद सलीम ने कहा देश के 1971 में पूर्वी हिस्‍से में हुए नरसंहार के मुजरिमों को  बांग्‍लादेश से आधिकारिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए और इस काम में पाकिस्‍तान को प्रयास करना होगा। पाकिस्तानी सेना के साथ करीब नौ महीने चले युद्ध के बाद 1971 में बांग्लादेश को आजादी मिली थी। इससे पहले यह पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इससे पहले भी वर्ष 2012 में पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार के साथ मुलाकात में बांग्लादेश के विदेश मंत्री दीपु मोनी ने कहा था कि उनका देश पाकिस्तान की सेना द्वारा 1971 में किए गए नरसंहार के लिए उससे माफी की उम्मीद करता है।

    ढाका में इंस्‍टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के जहांआरा इमाम मेमोरियल लेक्‍चर 2017 में मंगलवार को सलीम ने इस्‍लामाबाद पर अतीत से सीख न लेने के आरोप लगाए और पाकिस्‍तान की युवा पीढ़ी से आगे आने का आग्रह करते हुए कहा कि वे अपनी सरकार से जिम्‍मेवारी लेने ओर 1971 नरसंहार के मुजरिमों को सजा देने व बांग्‍लादेश से माफी मांगने को कहें।

    डेली स्‍टार के अनुसार, सलीम ने कहा, ‘हालांकि पाकिस्‍तान का परिदृश्‍य बदल गया है और अब हजारों लोग बांग्‍लादेश की स्‍वतंत्रता का सम्‍मान करते हैं, आधिकारिक स्‍तर पर माफी का मामला अभी भी अधर में है।‘ उन्‍होंने आगे कहा कि ऐसा लगता है कि पाकिस्‍तान की सरकार ने अपने अतीत से कुछ नहीं सीखा है। हमारी नई पीढ़ी अधिक प्रबुद्ध और कम पूर्वाग्रहपूर्ण है, अब इस युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि पाकिस्तान सरकार को यह समझने में मदद करें कि एक जिम्मेदार देश के रूप में, इसे युद्ध अपराधों में शामिल लोगों को सजा देने का प्रयास करना चाहिए और बांग्‍लादेश से माफी मांगनी चाहिए। उन्‍होंने आज कहा कि पाकिस्‍तान की तुलना में बांग्‍लादेश कहीं अधिक संप्रभु और विकसित था।

    उन्‍होंने एक पुराना वाकया याद करते हुए कहा कि जब उनसे जज ने पूछा था कि वह पंजाबी पाकिस्‍तानी आर्मी की निंदा क्‍यों कर रहे हैं तब उन्‍होंने जवाब दिया था, जो लोग मनुष्‍यों का खून बहाते हैं उन्‍हें पंजाबी या पठान नहीं कह सकते। इस वर्ष जहांआरा इमाम मेमोरियल अवार्ड सलीम को दिया गया।

    यह भी पढ़ें: नरसंहार पीडि़त संबंधी संरा प्रस्ताव का भारत ने किया समर्थन