9/11 के बाद दर-दर भटकता रहा था ओसामा का परिवार
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन हमले के बाद मोस्ट वांटेड आतंकी ओसामा बिन लादेन की पत्नियां और बच्चों से भरा परिवार सुरक्षा के लिए दर दर भटकता रहा।
लंदन (एएनआई)। मोस्ट वांटेड रहे आतंकी ओसामा बिन लादेन ने 11 सितंबर को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्वीन टावर पर हमला कर आतंक का चेहरा बदल दिया लेकिन इससे पहले अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास किया था। हालांकि इसमें उसे सफलता नहीं मिली क्योंकि एबटाबाद में उसका अंत हो गया।
सुरक्षा के लिए भटकते रहे
11 सितंबर के हमले के बाद से ओसामा का परिवार सुरक्षा के लिए दर-दर भटकता रहा। इस क्रम में वे कंधार से तोरा बोरा गए, फिर पाकिस्तान और फिर शरणार्थी के तौर पर इरान और 2011 के मई में एबटाबाद में आतंकी के अंत के साथ उसकी तीन पत्नियां खैरियाह, हमजा और अमल को एक साल के लिए पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद 11 बच्चों समेत उन्हें सऊदी अरब भेज दिया गया। द गार्जियन में कैथी स्कॉट-क्लार्क और एड्रियन लेवी द्वारा लिखे गए एक रिपोर्ट में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर व पेंटागन हमलों के बाद से अलकायदा के पूर्व आतंकी की मौत तक के समय में उसके परिवार की बदहाली का विवरण किया है।
समेट लिया था सामान
बिन लादेन की पत्नियों और बच्चों ने कंधार से दूर जाने के लिए 10 सितंबर 2001 की शाम को अपने सामान समेट लिए। जबकि बड़े बेटों व भाइयों ने पूर्व अलकायदा प्रमुख के अज्ञात ठिकाने की राह पकड़ी। तीन दिनों की यात्रा के बाद उनकी पत्नी और बच्चे जलालाबाद पहुंचे जहां उन्होंने नज्म अल-जिहाद में शरण लिया। खैरियाह ने वहां साफ-सफाई की। एक रसोई की भी व्यवस्था की गयी क्योंकि साद बिन लादेन और ओसामा की सबसे छोटी पत्नी अमल अल सादाह के छोटे बच्चे थे। 9/11 हमले के एक साल पहले ही ओसामा ने 18 वर्षीय यमन की युवती अमल से निकाह किया था।
पहली पत्नी से 11 बच्चे
ओसामा की पहली पत्नी नाजवा बिन लादेन उसके लगभग 11 बच्चों की मां हैं। नाजवा ने अपने बेटे के साथ मिलकर ओसामा की जिंदगी पर किताब लिखी थी जिसका नाम 'ग्रोइंग अप बिन लादेन' रखा। नाजवा ओसामा की बुआ की बेटी थी। वो सीरिया में रहती थी।
पहली पत्नी ने करायी ओसामा की दूसरी शादी
अगस्त 2001 के अंत तक नजवा अपने सीरियाई परिवार में लौट गयी। नजवा ने ओसामा से 1974 में शादी की थी। ओसामा की दूसरी पत्नी और नजवा के बीच बात-चीत नहीं थी लेकिन तीसरी खैरिआह से बात होती थी क्योंकि उसके बेटों में डेवलपमेंट को लेकर मुश्किलें थीं। दो को हाइड्रोसिफैलस (ब्रेन में पानी), और तीसरा बेटा ऑटिस्टिक था। लेकिन ओसामा ने इनके औपचारिक इलाज को लेकर इंकार कर दिया था और अल्लाह व रेगिस्तान के उपचारों पर विश्वास करता था।
ऐसे मिली थी दूसरी पत्नी
जेद्दाह में नजवा ने अपने बेटों के इलाज के लिए मदद मांगी थी जहां वह खैरिआह से मिली जो बाल विशेषज्ञ थी। वह ओसामा से सात साल बड़ी थी। इस्लाम के लिए ओसामा अधिक से अधिक संतान की चाहत रखता था और नजवा ने सुझाव दिया कि इस काम में खैरियाह उसकी मदद कर सकती है साथ ही उसके बेटों की पढ़ाई में भी मदद करेगी। ओसामा को भी यह बात जंची।
पत्नियां थीं अनभिज्ञ
इस ऑपरेशन के बारे में कंधार के लोगों के द्वारा वहां की सड़कों पर बातचीत हुई और उसकी पत्नियों को इस बात की भनक नहीं मिली क्योंकि इस्लामिक परंपरा के अनुसार, परिवार के पुरुषों के अलावा किसी अन्य पुरुष से मुस्लिम महिलाएं बात नहीं कर सकतीं। केवल ओसामा के करीबी लोग ही 11 सितंबर के हमले के बारे में जानते थे।
...तब उड़ा लें खुद को
ओसामा ने अपनी पत्नियों को निर्देश दे रखा था कि किसी प्रतिकूल परिस्थिति के आने पर वे खुद की जान ले लें। वे कंबल के नीचे कलाशनिकोव और ग्रेनेड बड़ी मात्रा में रखते थे।
9/11 से पहले
9/11 से पहले ओसामा की पत्नियां अपने पति के साथ कंधार एयरपोर्ट के पास प्राचीन तार्नाक किला में कंक्रीट से बने झोपड़ियों में रहती थीं। रिपोर्ट के अनुसार, तार्नाक किला में वे खरगोशों और मुर्गियों को पालते थे। जब कभी वहां कोई पुरुष नहीं होता तो वे अपने चेहरे से नकाब हटा देतीं और उनके बच्चे वहां खेलते थे।
बेटे को पसंद नहीं था आतंकवादी पेशा
ओसामा और उसके बेटे उमर के बीच बहस होती रहती थी क्योंकि ओसामा उसे अपने उत्तराधिकारी के तौर पर प्रशिक्षित कर रहा था। अपने पिता की तरह उमर युद्ध नहीं चाहता था और जब उसे ‘प्लेन ऑपरेशन’ के बारे में पता चला तो मां नजवा को घर छोड़ साथ चलने को कहा लेकिन नजवा ने इंकार कर दिया। इसके बाद उमर अकेले ही घर छोड़ भाग निकला।
मुजाहिद्दीन आतंकियों से बेटियों का निकाह
खैरियाह ने ओसामा को हमजा के रूप में एक बेटा दिया। ओसामा की चौथी पत्नी सेहम ने मेदिना यूनिवर्सिटी से पीएचडी की पढ़ाई की थी और काफी धार्मिक थी। ओसामा अपने सभी बच्चों को जिहाद में उताराना चाहता था और बेटियों की शादी मुजाहिद्दीन आतंकियों से कराया था ताकि अलकायदा का प्रभाव बढ़े।
2001 में जलालाबाद छोड़ा
नवंबर 2001 में अमेरिकी सेनाओं ने जलालाबाद में हर ओर हमले किए और जब ओसामा पत्नियों और बच्चों से मिलने किले पर पहुंचा और उनसे तुरंत सामान समेटने को कहा और तोरा बोरा के लिए रवाना हो गए। दिसंबर 2001 तक अमेरिका के साथ युद्ध अफगानिस्तान पहुंच गया था और तोरा बोरा पर अमेरिकी हवाई हमले से ओसामा बच निकला। इसके बाद सैंकड़ों लड़ाकों के साथ ओसामा का पूरा परिवार पाकिस्तान पहुंचा। कराची में उनका स्वागत 9/11 के मास्टरमाइंड खालिद शेख मोहम्मद ने किया। पर वह संरक्षक बनने में रुचिकर नहीं था। आखिरकार वे शरणार्थी के तौर पर इरान पहुंचे।
इरान में रहकर भी सुरक्षित नहीं
इरान में रहते हुए ओसामा के बेटे हमजा को अपना कोई भविष्य नहीं दिख रहा था और उसने 2002 में पिता को पत्र लिखकर पूछा- मुझे कोई भविष्य नहीं दिख रहा, कुछ बताईए। हमें क्यों हो गया है? एक हफ्ते बाद छिप रहे ओसामा ने माफी मांगते हुए पुत्र को जवाब भेजा और खतरे से आगाह किया कि हम इरान में भी सुरक्षित नहीं।
इरान ने भी खड़े कर दिए हाथ
मई 2008 में ओसामा के परिवार को पैकिंग का नोटिस मिला। क्योंकि इरानियों ने अलकायदा को रखने में असमर्थता जतायी। इसके बाद वे याज्द के एतिहासिक शहर पहुंचे।
अंतत: 2001 के मई में ओसामा पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में अमेरिकी कमांडो के हाथों मारा गया। तब से ओसामा का परिवार पाकिस्तान के कब्जे में थे और बाद में पाकिस्तानी सरकार ने इन्हें रिहा करते हए सऊदी अरब भेज दिया।
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