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    नॉर्थ कोरिया का वो साइबर सेल जिससे US समेत कई देशों में हलचल

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Mon, 22 May 2017 04:25 PM (IST)

    अमेरिका, साउथ कोरिया जैसे दर्जन भर देशों में हुए हैं, ख़ासकर वित्तीय नेटवर्क्स पर उसके लिए उत्तरी कोरिया में जिम्मेवार माना जा रहा है।

    नॉर्थ कोरिया का वो साइबर सेल जिससे US समेत कई देशों में हलचल

    सिओल, [स्पेशल डेस्क]। नार्थ कोरिया की मुख्य खुफिया एजेंसी के पास एक स्पेशल सेल है जिसे यूनिट 180 के नाम से जाना जाता है। अधिकारियों और साइबर सुरक्षा के जानकारों का मानना है कि नॉर्थ कोरिया के इस साइबर सेल ने बड़ी निडरता के साथ सफलतापूर्वक साइबर हमले किए हैं।

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    हाल में हुए साइबर हमले को लेकर नॉर्थ कोरिया पर उठी ऊंगली

    हाल के वर्षों में जितने भी बड़े ऑनलाइन हमले अमेरिका, साउथ कोरिया जैसे दर्जन भर देशों पर हुए हैं ख़ासकर वित्तीय नेटवर्क्स पर, उसके लिए उत्तरी कोरिया को ही जिम्मेवार माना जा रहा है। साइबर के सुरक्षा शोधकर्ताओं ने भी यह कहा है कि उनके पास वह तकनीकी सबूत है जिससे पता चलता है कि 'रैन्समवेयर' साइबर हमले का संबंध नॉर्थ कोरिया से है। रैन्समवेयर साइबर हमले से इस महीने के अंदर 150 देशों के करीब तीन लाख कंप्यूटर्स प्रभावित हुए हैं। हालांकि, प्योंगयोंग ने इन आरोपों को बकवास करार दिया है।

    सोनी हॉलीवुड स्टूडियो और बांग्लादेश बैंक हैकिंग में आरोप

    नॉर्थ कोरिया पर लगाए गए इस आरोप की मुख्य वजह है उनका हैकिंग ग्रुप ‘लेजारस’ से संबंध होना। इस ग्रुप का बांग्लादेश के सेंट्रल बैंक पिछले साल हुई सेंधमारी में 81 मिलीयन डॉलर चुराने और 2014 में सोनी के हॉलीवुड स्टूडियों में हुए हमले में हाथ माना गया है। अमेरिकी सरकार ने सोनी हैक मामले में नॉर्थ कोरिया को जिम्मेवार करार दिया और कुछ अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि अभियोजन पक्ष के वकील बांग्लादेश बैंक चोरी केस में प्योंगयोंग के खिलाफ केस बना रहे हैं।

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    नॉर्थ कोरिया के खिलाफ नहीं पुख्ता सबूत

    हालांकि, कोई पुख्ता सबूत नहीं नहीं दिया गया और ना ही अभी तक कोई आपराधिक केस दर्ज किया गया है। नॉर्थ कोरिया ने भी सोनी और बांग्लादेश सेंट्रल बैंक पर साइबर हमले में अपना हाथ होने से पूरी तरह इनकार किया है।

    नॉर्थ कोरिया के खिलाफ पता लगा पाना कठिन

    नॉर्थ कोरिया को दुनिया का सबसे बंद देश माना जाता है गुप्त ऑपरेशन को पता लगाना बेहद कठिन काम है। लेकिन, इस देश पर काफी अध्ययन करनेवाले विशेषज्ञों और वे लोग जो नॉर्थ कोरिया से बागी होकर साउथ कोरिया आ चुके हैं या पश्चिमी देश आ चुके हैं उन्होंने कुछ सुराग दिया है। 

    नॉर्थ कोरिया से छोड़कर साल 2004 में साउथ कोरिया आए पूर्व कंप्यूटर साइंस प्रोफेसर किम होंग क्वांग ने कहा कि प्योंगयोंग साइबर अटैक का मुख्य मक़सद पैसों की उगाही करना है और यह काम वहां की ‘यूनिट 180’ कर रही है। यह ‘यूनिटट 180’ रिकन्निजेंस जनरल ब्यूरो (आरजीबी) का एक अंग माना जा रहा है। जो मुख्यतौर से अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसी है।

    किम ने रायटर्स से बातचीत में बताया, “यूनिट 180 वित्तीय संस्थानों को हैक कर और उनके अकाउंट से पैसे लगाने की कोशिश में लगी रहती है।” उन्होंने इससे पहले कहा था उनके कुछ पूर्व छात्र ने नार्थ कोरिया के स्ट्रैटजिक साइबर कमांड से जुड़े हैं जो वहां की साइबर आर्मी है।

    साइबर अटैक के खिलाफ एकजुटता की ज़रूरत

    साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने जागरण डॉट कॉम से विशेष बातचीत में यह माना कि आज जिस तरह के साइबर अटैक किया जा रहा है वह पूरी दुनिया के लिए ख़तरा है। उनका कहना है कि साइबर अटैक की चुनौतियों से निपटने के लिए भले ही एक देश दूसरे देश के साथ द्विपक्षीय समझौता करते हों लेकिन यह उसे रोक पाने में असमर्थ है। दुग्गल ने कहा कि इसके लिए पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को एकजुट होकर सामने आना होगा और ठोस रणनीति बनाकर उसे अमल करनी होगी। नहीं तो नार्थ कोरिया जैसे अन्य देशों के साइबर अटैक का यूं ही लोग और कंपनियां शिकार होतीं रहेंगी।

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