चाबहार पर आपत्ति के बावजूद ओबामा प्रशासन को भारत से शिकायत नहीं
पिछले हफ्ते विदेश मामलों की समिति की सुनवाई के दौरान कुछ सीनेटरों ने इस समझौते में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन होने की आशंका जताई थी।

वाशिंगटन, प्रेट्र। चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच हुए समझौते से अमेरिका को कोई समस्या नहीं है। कुछ सीनेटरों की ओर से इस संबंध में चिंता जताये जाने के बावजूद ओबामा प्रशासन ने समझौते पर कोई आपत्ति नहीं जताई है। शीर्ष अमेरिकी विचार समूह कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के एश्ली टेलिस ने मंगलवार को यह बात कही।
उन्होंने कहा कि यह समझौता भारत और ईरान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अमेरिका कुछ भी कहे वे इस परियोजना को जारी रखेंगे। मैं मानता हूं कि ओबामा प्रशासन ने चाबहार में भारतीय निवेश को लेकर कोई शिकायत नहीं की है। उन्होंने कहा कि कुछ सीनेटर ईरानी शासन के मजबूत हेाने को लेकर चिंतित हैं, लेकिन इस क्षेत्र में भारत की शुरुआत से स्वतंत्र नीति रही है। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते विदेश मामलों की समिति की सुनवाई के दौरान कुछ सीनेटरों ने इस समझौते में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन होने की आशंका जताई थी।
एक सवाल के जवाब में टेलिस ने कहा कि इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ओबामा प्रशासन भारत से अफगानिस्तान में विकास गतिविधियां रोकने के लिए कहे। उन्होंने कहा,'नरेंद्र मोदी भारत के लाभ के लिए अमेरिका से संबंध चाहते हैं। वह अमेरिका के लिए चीयरलीडर नहीं बनने जा रहे। यह निश्चित है।' उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में मोदी चीजों को एकतरफा करना चाहते हैं, क्योंकि नौवहन की स्वतंत्रता भारत के हित में है। मेरा मानना है कि अगले कुछ सालों में दक्षिण चीन सागर के साथ-साथ जापान सागर में भी भारतीय गतिविधियां दिखाई देंगी।

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