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दुनियाभर के आधे लोगों को हिरासत में यातनाओं का डर

बर्लिन। दुनियाभर में आधे से अधिक लोगों को हिरासत में लिए जाने की सूरत में यातनाएं दिए जाने का डर है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। ब्राजील और मैक्सिको के लोग हिरासत में यातनाओं को लेकर ज्यादा चिंतित हैं। यहां क्रमश:

By Edited By: Published: Tue, 13 May 2014 06:54 PM (IST)Updated: Tue, 13 May 2014 06:54 PM (IST)

बर्लिन। दुनियाभर में आधे से अधिक लोगों को हिरासत में लिए जाने की सूरत में यातनाएं दिए जाने का डर है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है।

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ब्राजील और मैक्सिको के लोग हिरासत में यातनाओं को लेकर ज्यादा चिंतित हैं। यहां क्रमश: 80 प्रतिशत और 64 प्रतिशत लोग यातनाओं से खुद को सुरक्षित नहीं मानते। वहीं ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में सबसे कम क्रमश: 16 और 15 फीसद लोग मानते हैं कि उन्हें हिरासत में यातनाएं दी जाएंगी। अपनी नई रिपोर्ट में एमनेस्टी ने कहा, हालांकि सरकारों ने कानून में इस तरह की अमानवीय यातनाओं को निषिद्ध किया हुआ है लेकिन ज्यादातर देशों में हिरासत में न केवल यातनाएं दी जाती हैं बल्कि इन्हें बढ़ावा भी दिया जाता है।

एमनेस्टी के लिए ग्लोबस्कैन द्वारा 21 देशों के 21 हजार से अधिक लोगों पर कराए सर्वेक्षण में 44 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपने देश में हिरासत में लिए जाने की सूरत में खुद को यातनाओं से सुरक्षित नहीं पाते हैं। पांच में चार लोग यातनाएं रोकने के लिए स्पष्ट कानून चाहते हैं। वहीं 60 प्रतिशत लोग मानते हैं कि किन्हीं भी परिस्थितियों में हिरासत में यातनाओं को उचित नहीं ठहराया जा सकता। जबकि चीन और भारत जैसे देशों में बड़ी संख्या में लोग यातनाओं को न्यायसंगत मानते हैं। एमनेस्टी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, दुनियाभर के 155 देशों ने हालांकि 30 साल पुराने युनाइटेड नेशन कनवेंशन अगेंस्ट टॉर्चर को मंजूरी दी हुई है लेकिन ज्यादातर सरकारें अपनी जिम्मेदारियों से दूर भागती आई हैं।

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