न्यूयार्क की संघीय कोर्ट ने दिया डोनाल्ड ट्रंप को झटका
न्यूयार्क की एक अदालत ने डोनाल्ड ट्रंप के उस आदेश के कुछ बिंदुओं पर रोक लगा दी है जिसके तहत कुछ देशों के नागरिकों को अमेरिका में न आने देने की बात कही गई थी।
न्यूयार्क (एएफपी)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कुछ देशों के नागरिकों को देश में न घुसने देने के फैसले का अमेरिका में ही जबरदस्त विरोध हो रहा है। न्यूयार्क के जॉन एफ कैनेडी एयरपोर्ट के बाहर ट्रंप के आदेश के खिलाफ करीब दो हजार से अधिक लोगों ने एकत्रित हुए और अपना विरोध जताया। हांलाकि शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उनका आदेश मुसलमानों पर प्रतिबंध नहीं हैं। इसके अलावा एक संघीय अदालत ने भी राष्ट्रपति ट्रंप के अस्थायी आव्रजन प्रतिबंध के कुछ हिस्से को अवरूद्ध करते हुए अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे अमेरिकी हवाईअड्डों पर फंसे शरणार्थियों और अन्य यात्रियों को निर्वासित करना बंद करें। अमेरिकी सिविल लिबर्टीज यूनियन के वकीलों ने ट्रंप के शासकीय आदेश को रोकने के लिए सरकार पर मुकदमा किया था।
अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज एन डोनले द्वारा यह फैसला सुनाए जाने के बाद इन वकीलों ने ट्वीट कर फैसले को अपनी जीत बताया। अपने ट्वीट में कहा गया कि हमारी अदालतों ने ठीक वैसे ही काम किया, जैसा उन्हें सरकारी प्रताड़ना या असंवैधानिक नीतियों और आदेशों के खिलाफ एक अवरोधक के रूप में करना चाहिए। इस फैसले के बाद उत्साही भीड़ ने अदालत के बाहर उनका स्वागत किया।
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गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अपने पहले ही आदेश में ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सुडान, सीरिया और यमन के नागरिकों के अमेरिका में घुसने पर प्रतिबंध लगा दिया था। हस्ताक्षर करने के बाद ट्रंप ने कहा था कि अपने इस आदेश के जरिए चरमपंथी इस्लामी आतंकियों को अमेरिका से बाहर रखने के लिए कठोर जांच के नए नियम तय कर रहे हैं। उनका कहना था कि हम उन्हें यहां नहीं आने देना चाहते हैं। उनका कहना था कि 9/11 के बाद अमेरिका ने जो कदम उठाए, वे आतंकियों का देश में प्रवेश रोकने में कारगर नहीं रहे हैं।
इसमें कहा गया कि विदेशों में जन्मे बहुत से लोगों को 11 सितंबर 2001 के बाद से आतंकवाद संबंधी गतिविधियों में या तो दोषी करार दिया गया है या आरोपी बनाया गया है। इनमें वे विदेशी नागरिक भी शामिल हैं, जो अमेरिका में पर्यटक, छात्र या रोजगार वीजा लेकर आए थे या फिर अमेरिका में शरणार्थी पुनर्वास कार्यक्रम के तहत यहां आए थे। इसमें कहा गया कि कई देशों में युद्ध, भुखमरी, आपदा और असैन्य अशांति से बिगड़ती स्थिति के कारण यह आशंका बढ़ गई है कि आतंकी अमेरिका में दाखिल होने के लिए कोई भी माध्यम अपनाएंगे।
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