'गुआम अटैक प्लान' कैंसिल करने के पीछे उत्तर कोरिया का ये हो सकता है मकसद
उत्तर कोरिया ने अमेरिका के गुआम द्वीप पर हमला न करने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन इसके पीछे आखिर वजह क्या है? ...और पढ़ें

नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। उत्तर कोरिया फिलहाल गुआम द्वीप पर मिसाइलें दागने से पीछे हट गया है। उत्तर कोरिया में आए इस बदलाव के पीछे की वजह आखिर क्या है, यह कह पाना फिलहाल काफी मुश्किल है। लेकिन इस फैसले के बाद यह सवाल जरूर उठ रहा है कि क्या वह अमेरिका की ताकत से घबरा गया है या फिर वास्तव में माहौल में शांति लाने का प्रयास कर रहा है। गुआम हमले से पीछे हटने के बाद यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या उत्तर कोरिया हमले के लिए तैयार नहीं था या फिर वह केवल अमेरिका पर दबाव बना रहा था। एक सवाल यह भी है कि क्या उत्तर कोरिया ने जिस तरह के प्लान की बात पहले की थी, उसके लिए वह तैयार था भी या नहीं। एक सवाल यह भी है कि गुआम हमले से पीछे हटने की वजह कहीं उत्तर कोरिया की हमले को लेकर अधूरी तैयारी तो नहीं थी, जिसे वह अब समय लेकर पूरी कर लेना चाहता है।
उत्तर कोरिया के कदम पीछे खीचनें के कारण
रक्षा और विदेश मामलों के जानकार कमर आगा उत्तर कोरिया की इस घोषणा के पीछे कई कारण मानते हैं। वह यह भी मानते हैं कि ऐसा करके उत्तर कोरिया अपनी तैयारियों को पूरा करने के लिए समय भी लेना चाहता है। उत्तर कोरिया जानता है कि फिलहाल वह अमेरिका से जंग करने के लायक नहीं है। उनका यह भी कहना है कि उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन अपनी स्थिति को बखूबी समझते हैं। वह यह भी जानते हैं कि अमेरिका के सामने उत्तर कोरिया कहां ठहरता है, लेकिन अपनी आंतरिक परेशानियों के चलते वह लगातार अमेरिका के खिलाफ बयान देते रहते हैं। वह ऐसा अपनी जनता का ध्यान देश की समस्याओं से हटाने के लिए करते हैं। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि किम एक तानाशाह हैं जो अपने फैसले के खिलाफ कुछ भी सुनना पसंद नहीं करते हैं। उनके रवैये की वजह से ही कोई सैन्य अधिकारी उनके सामने बोलने की कोशिश तक नहीं कर पाता है। जिन्होंने इस तरह की कोशिश की, उनकाे किम ने मरवा दिया।
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चीन का रुख भी रही एक वजह
इस पूरे मुद्दे पर बात करते हुए कमर आगा ने यह भी कहा कि उत्तर कोरिया के इस फैसले के पीछे एक वजह यह भी है कि पहले उसको लगता था कि चीन उसका खुलकर साथ देगा। लेकिन यूएन और अमेरिका द्वारा लगाई गई पाबंदियों के बाद चीन के लिए भी परेशानियां बढ़ गई हैं। यहां तक कि वह उत्तर कोरिया से सही मायनों में व्यापार करने से भी कतरा रहा है। पाबंदियों के बीच उससे व्यापार का खामियाजा उसको भी उठाना पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर उत्तर कोरिया यह भी जानता है कि वह इस मुद्दे पर कई तरफ से घिर गया है। रूस हो या दक्षिण कोरिया सभी देशों ने उत्तर कोरिया को जवाब देने के लिए मिसाइलें तैनात की हैं। वहीं अमेरिका इसके लिए पहले से ही तैयारी कर चुका था।
अमेरिका भी नहीं चाहता है युद्ध
उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा समय में अमेरिका भी युद्ध में नहीं पड़ना चाहता है। उनका कहना है कि अमेरिका ने इराक और अफगानिस्तान में अपने कई सैनिकों काे खोया है। इसके अलावा आर्थिक तौर पर भी उसको यहां काफी नुकसान उठाना पड़ा है। लिहाजा वह नहीं चाहता है कि अब वह किसी भी तरह से युद्ध में उलझे। लिहाजा वह इससे बचना चाहता है और बार-बार आक्रामक बयानों के बीच बातचीत की पहल करता हुआ भी दिखाई देता है। उन्होंने यह मानने से साफ इंकार किया कि अमेरिका, उत्तर कोरिया में देश का नेतृत्व करने की कोशिश कर रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या किम की ताजा घोषणा से तनाव में कुछ नरमी आएगी, उन्होंने कहा कि फिलहाल कुछ समय के लिए यह मामला जरूर शांत हो जाएगा।
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अमेरिका ने ली राहत की सांस
बहरहाल, उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन की तरफ से की गई इस घोषणा के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली है। इतना ही नहीं, उत्तर कोरिया की घोषणा के बाद अमेरिका के लेफ्टिनेंट गवर्नर रे टोनोरियो ने यहां तक कहा कि गुअाम में ऐसा कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहा है कि निकट भविष्य या दूरस्थ भविष्य में कोई मिसाइल हमला होगा। हालांकि उन्होंने यह भी माना है कि गुआम से खतरा पूरी तरह से टला नहीं है, यह अभी बरकरार है। उत्तर कोरिया की तरफ से मिसाइल हमला न करने की जानकारी वहां की समाचार एजेंसी केसीएनए द्वारा दी गई है। इससे पहले एजेंसी द्वारा कुछ फोटो और खबरों में किम जोंग उन को अपने वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के साथ गुआम हमले का पूरा अटैक प्लान समझते हुए दिखाया गया था। बाद में कहा गया कि किम जोंग पहले अमेरिका का रुख देखना चाहते हैं, इसलिए वह गुआम पर हमले की योजना से कदम पीछे खींच रहे हैं।
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उत्तर कोरिया ने नहीं की मिसाइल तैनात
गुआम होमलैंड सिक्योरिटी के जॉर्ज शाफॉरस ने उन रिपोर्टों को खारिज किया कि उपग्रह से भेजी गई तस्वीरों में उत्तर कोरिया संभावित प्रक्षेपण करने के लिए मिसाइल की तैनाती करते दिखाई दे रहा है। उनका मानना है कि यह मंगलवार को उत्तर कोरिया के स्वतंत्रता दिवस समारोह के मौके पर केवल शक्ति प्रदर्शन तक सीमित था। उन्होंने इस घोषणा को उत्तर कोरिया की महज एक चाल बताया और कहा कि इस फैसले से अमेरिका काफी खुश है।
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जापान और दक्षिण कोरिया का रुख
उत्तर कोरिया द्वारा गुआम पर हमला न करने की घोषणा के बाद दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन ने कहा है कि वह किसी कीमत पर भी इलाके में जंग नहीं होने देंगे और मामला शांत करने के लिए बातचीत का सहारा लेंगे। उन्होंने साफ कर दिया है कि इसमें कितने भी उतार-चढ़ाव आएं, लेकिन हम मसले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएंगे। वहीं दूसरी तरफ जापान भी इस मुद्दे पर अब शांत होता दिखाई दे रहा है। जापान का कहना है कि अमेरिका को उत्तर कोरिया की मिसाइल का जवाब देने से पहले उससे इस बारे में राय जरूर करनी होगी। हालांकि अमेरिका ने इस बयान को दरकिनार कर साफ कर दिया है कि यदि उत्तर कोरिया ने भविष्य में इस तरह की कार्रवाई की तो फिर अमेरिका किसी से राय नहीं लेगा।
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उत्तर कोरिया ने किया था बैलेस्टिक मिसाइल परीक्षण
गौरतलब है कि उत्तर कोरिया ने कुछ समय पहले ही अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस (4 जुलाई) पर एक इंटरमीडिएट बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था। उस वक्त किम ने इसे अमेरिका को दिया एक गिफ्ट बताया था और अमेरिकियों को गाली तक दे डाली थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। तभी से यह माना जा रहा था कि उत्तर कोरिया अपने स्वतंत्रता दिवस के मौके (15 अगस्त) पर कोई बड़ा कदम, जिसमें गुआम अटैक भी शामिल था, को अंजाम दे सकता है। कुछ दिन पहले ही उत्तर कोरिया ने इसका पूरा प्लान भी जारी किया था।
हालांकि इस घोषणा के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया को कड़े शब्दों में चेतावनी दी थी कि यदि उत्तर कोरिया ने इस तरह का कदम उठाया तो उसे ऐसे विध्वंस का सामना करना पड़ेगा जो पहले कभी किसी देश ने नहीं देखा होगा। यहां पर यह भी बात ध्यान रखने वाली है कि गुआम, उत्तर कोरिया से करीब 3200 मील की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा यहां पर अमेरिकी नेवल बेस और एंडरसन एयर बेस भी है। यहां पर अमेरिका के करीब 6,000 से ज्यादा सैनिक तैनात हैं।

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