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    भारत ने जताई जापान से रक्षा तकनीक हासिल करने की इच्छा

    By Abhishek Pratap SinghEdited By:
    Updated: Tue, 09 May 2017 05:57 PM (IST)

    भारत और जापान के सुरक्षा बलों के बीच संबंध काफी मजबूत हैं और दोनों देश क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के लिए रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाएंगे।

    भारत ने जताई जापान से रक्षा तकनीक हासिल करने की इच्छा

    टोक्यो, प्रेट्र : रक्षा एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि जापान के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ भारत हथियारों व उपकरणों के घरेलू स्तर पर निर्माण के लिए रक्षा तकनीक हासिल करने का भी इच्छुक है।

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    जापान की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान वहां के रक्षा मंत्री टोमोमी इनाडा से मुलाकात के बाद जेटली ने कहा कि भारत और जापान के सुरक्षा बलों के बीच संबंध काफी मजबूत हैं और दोनों देश क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के लिए रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाएंगे।

    उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण और नौसैनिक अभ्यास किया जा रहा है। इसके अलावा कई और क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया जा रहा है। जेटली ने कहा, 'जापान के पास कई रक्षा तकनीक हैं और भारत के लिए इन तकनीकों की काफी उपयोगिता है क्योंकि हम भारत में ही स्थानीय स्तर पर निर्माण का प्रयास कर रहे हैं।'

    इस मुलाकात के दौरान उन्होंने एशिया प्रशांत क्षेत्र में सहयोग मजबूत करने के लिए उद्देश्य से जुलाई में अमेरिका, भारत और जापान के बीच प्रस्तावित नौसैनिक अभ्यास का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इससे हमारे सैन्य बलों के बीच एक-दूसरे के साथ सहयोग के स्तर का पता चलता है। यात्रा के दौरान जेटली ने एशियाई विकास बैंक और निवेशकों की बैठक में भी हिस्सा लिया।

    स्थानीय रक्षा निर्माण के लिए प्रोत्साहन नीति के दिए संकेत

    लड़ाकू विमानों, युद्धपोतों और पनडुब्बियों का आयात घटाने के उद्देश्य से घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए जेटली ने प्रोत्साहन नीति लाने के संकेत दिए। इससे कंपनियों को भारत में ही निर्माण इकाई लगाने को बढ़ावा मिलेगा।

    उन्होंने कहा, 'अभी तक हमने निवेश के नियमों को ही उदार किया है और रक्षा के संदर्भ में बात करें तो सरकार ही इसकी अकेली खरीददार होती है लिहाजा लोग तभी निर्माण इकाई स्थापित करेंगे जब उन्हें ऑर्डर मिलने का भरोसा हो, इसलिए हमारी नीतियां इस वास्तविकता के मुताबिक ही होंगी।'

    उन्होंने बताया कि रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम और निजी क्षेत्र की कंपनियां दोनों ने अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ पहले ही तालमेल करना शुरू कर दिया है ताकि भारत में ही निर्माण इकाइयां स्थापित की जा सकें।

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