युद्ध अपराध में श्रीलंका पर प्रस्ताव आम सहमति से बने
भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ युद्ध अपराधों की जांच के तौर-तरीकों पर आम सहमति से प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने पर जोर दिया है। इसके साथ ही पीडि़तों को न्याय दिलाने और श्रीलंका की संप्रभुता का सम्मान करने की भी बात कही है। प्रधानमंत्री मंत्री
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ युद्ध अपराधों की जांच के तौर-तरीकों पर आम सहमति से प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने पर जोर दिया है। इसके साथ ही पीडि़तों को न्याय दिलाने और श्रीलंका की संप्रभुता का सम्मान करने की भी बात कही है। प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरीसेन के बीच मुलाकात के बाद भारत ने इस मसले पर अपना रुख स्पष्ट किया है।
लिट्टे के खिलाफ अभियान के दौरान श्रीलंकाई सेना द्वारा बड़े पैमाने पर मानवाधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। अमेरिका की पहल पर तैयार प्रस्ताव के मसौदे को इसी सप्ताह जेनेवा में यूएन को सौंपा गया। इसमें मामले की जांच के लिए विदेशी जजों के साथ घरेलू स्तर पर भी न्यायिक तंत्र बनाने की मांग की है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि कथित युद्ध अपराध पर श्रीलंका सरकार के रवैये में पहले की तुलना में जबर्दस्त बदलाव आया है।
भारत को उम्मीद है कि यूएन मानवाधिकार परिषद में ऐसा प्रस्ताव पेश किया जाएगा जिसे आम सहमति से स्वीकार किया जा सके और जो श्रीलंका के भी अनुकूल हो। उन्होंने कहा, 'भारत पीडि़तों को न्याय दिलाने का समर्थन करता है। साथ ही श्रीलंका की संप्रभुता का सम्मान भी किया जाना चाहिए। भारत को उम्मीद है कि ऐसा रास्ता ढूंढ़ा जाएगा जिससे दोनों उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।'
मानवाधिकार परिषद के उच्चायुक्त जैद राद अल हुसैन ने विशेष अदालत बनाने की बात कही है, जिसमें विदेशी जज, अभियोजक, अधिवक्ता और जांचकर्ता शामिल हों। श्रीलंका मामले की जांच के लिए घरेलू तंत्र बनाने पर जोर दे रहा है। मानवाधिकार संगठनों ने श्रीलंकाई सेना पर 40 हजार लोगों की हत्या करने का आरोप लगाया है।
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