मंगल पर पहुंचे यूरोप के अंतरिक्ष यान का अस्तित्व खतरे में
यूरोप के अंतरिक्ष यान शियापैरेली लैंडर के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है।
पेरिस, (एएफपी/रायटर)। जीवन की संभावनाओं की खोज के लिए मंगल ग्रह पर भेजे गए यूरोप के अंतरिक्ष यान शियापैरेली लैंडर के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है। विज्ञानियों का कहना है कि वे अभी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं कि यान सही सलामत है अथवा नहीं।
यान ने बुधवार को मंगल की सतह को छुआ था। उसने भीषण गर्मी में सुपरसोनिक गति से मंगल के वातावरण में प्रवेश किया और सतह तक पहुंच गया था लेकिन सतह छूने से 50 सेकेंड पहले ही उससे संकेत मिलने बंद हो गए थे। यान की लैंडिंग खतरनाक तरीके से हुई थी।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के सौर एवं ग्रह मिशन के प्रमुख एंड्रिया एकोमाजो के अनुसार अभी कुछ भी सुनिश्चित नहीं है कि वह सतह तक किस अवस्था में पहुंचा। संकेत देना बंद करने से पहले उसके द्वारा भेजे गए 600 मेगाबाइट के डाटा के गहन विश्लेषण की जरूरत है। इसी के बाद यह बता पाना संभव होगा कि यान का अस्तित्व कायम है अथवा नहीं। अंतिम कुछ मिनटों में क्या हुआ, इसका गहन अध्ययन किया जा रहा है।
13 वर्ष पहले भी रहा था असफल
यूरोप का यह दूसरा अंतरिक्ष अभियान है जिसके फेल होने की आशंका पैदा हो गई है। मंगल पर यान भेजने का यूरोप का पहला प्रयास 13 वर्ष पूर्व किया गया था। तब ब्रिटेन निर्मित बीगल-2 रोबोट लैब यान 2003 में प्रक्षेपक वाहन मार्स एक्सप्रेस से अलग होने के बाद गायब हो गया था। इसके अवशेष नासा द्वारा पिछले वर्ष खींचे गए फोटो में दिखाई दिए।
सात वर्ष का सफर
शियापैरेली लैंडर सात वर्ष तक यूरोपीय-रूस के ट्रेस गैस आर्बिटर (टीजीओ) पर सवार हो कर मंगल तक पहुंचा था। विज्ञानियों के अनुसार टीजीओ को बुधवार को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचा दिया गया था।
577 किलो वजनी, डिस्क का आकार
डिस्क के आकार का 577 किलोग्राम वजन का यह यान रोवर के लिए एक शुरूआती परीक्षण प्रणाली के रूप में भेजा गया। दूसरे चरण का विमान 2020 तक भेजने की योजना है।
अंतरिक्ष विज्ञानी के नाम पर यान
इस यान का नाम इटली के अंतरिक्ष विज्ञानी जियोवन्नी शियापैरेली के नाम पर रखा गया । उन्होंने वर्ष 1877 में ही मंगल ग्रह की सतह की मैपिंग शुरू कर दी थी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।