बांग्लादेश में भारी हिंसा के चलते कम मतदान
ढाका। बांग्लादेश में विपक्षी दलों के बहिष्कार और भारी हिंसा के बीच रविवार को आम चुनाव हुए। हालांकि मतदान काफी फीका रहा। इस दौरान हुए संघर्षो में 19 लेाग मारे गए जबकि दो सौ से अधिक मतदान केंद्रों में आग लगा दी गई। कम मतदान होने पर मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी [बीएनपी] ने चुनाव के औचित्य पर सवाल उठाए हैं।
ढाका। बांग्लादेश में विपक्षी दलों के बहिष्कार और भारी हिंसा के बीच रविवार को आम चुनाव हुए। हालांकि मतदान काफी फीका रहा। इस दौरान हुए संघर्षो में 19 लेाग मारे गए जबकि दो सौ से अधिक मतदान केंद्रों में आग लगा दी गई। कम मतदान होने पर मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी [बीएनपी] ने चुनाव के औचित्य पर सवाल उठाए हैं।
देशभर में बीएनपी की अगुवाई में 18 पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने मतदान का उग्र विरोध किया। भारी सुरक्षा बलों की तैनाती के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने कई मतदान केंद्रों पर देसी बम फेंके। पुलिस के अनुसार, हिंसा में 16 लोग मारे गए हैं। मरने वालों में ज्यादातर विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ता हैं। इसके अलावा दिनाजपुर में एक मतदान केंद्र में तैनात एक पुलिस कर्मी की भी हत्या कर दी गई। जबकि शनिवार की रात के दौरान एक चुनाव अधिकारी सहित दो लोग मार डाले गए।
बांग्लादेश में 300 निर्वाचन क्षेत्रों में से 147 के लिए रविवार सुबह आठ बजे से मतदान शुरू हुआ लेकिन हिंसा के डर से ज्यादातर लोग घरों में ही दुबके रहे। बीएनपी और इसके सहयोगियों ने चुनाव का बहिष्कार किया है, लिहाजा शेष 153 उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए जाएंगे। मतदान शाम चार बजे तक हुए जिसके तुरंत बाद मतों की गिनती शुरू हो गई। स्थानीय मीडिया के अनुसार, कई मतदान केंद्रों पर शुरुआती घंटों में एक भी मत नहीं डाला गया।
आगजनी और बैलेट बॉक्स लूट लिए जाने के कारण 160 पोलिंग बूथों पर मतदान को स्थगित कर दिया गया। जबकि विपक्षी प्रदर्शनकारियों ने दो सौ से अधिक मतदान केंद्रों को आग के हवाले कर दिया।
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हालांकि मुख्य चुनाव आयुक्त रकीबुद्दिन अहमद ने निष्पक्ष चुनाव कराए जाने का दावा किया है। इस बीच, बीडी न्यूज24 डॉट कॉम ने बीएनपी के कार्यवाहक महासचिव मिर्जा फकरूल इस्लाम के हवाले से कहा कि खाली बूथों से साबित हो गया कि देश की जनता ने 10वें आम चुनाव को खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि बीएनपी सहित विपक्षी पार्टियां चुनाव स्थगित कर गैरदलीय कार्यवाहक सरकार के गठन की मांग कर रही थीं लेकिन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उनकी मांगों को खारिज कर दिया। इसके चलते गत नवंबर से पूरे देश में विपक्ष की हड़ताल, बंद और प्रदर्शन के दौरान राजनीतिक हिंसा से 140 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
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