सौ दिन के शासन में ट्रंप को कई बार अपने फैसलों पर झेलना पड़ा विरोध
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने शासन के सौ दिन पूरे कर लिए हैं। इन सौ दिनाें में वह लगातार अपने फैसलों को लेकर सुर्खियों में बने रहे। कई बार उन्हें इसके लिए शर्मिंदगी भी उठानी पड़ी।
नई दिल्ली (कमल कान्त वर्मा)। अबकी बार मोदी सरकार की तर्ज पर अबकी बार ट्रंप सरकार का नारा देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने शासन के सौ दिन पूरे कर लिए। उनके सौ दिन काफी चर्चा में रहे, या यूं कहें कि इन सौ दिनाें में उनके द्वारा लिए गए फैसलों के चलते वह सुर्खियों में रहे। हालांकि इन सौ दिनों में उन्हें कई मौकों पर शर्मिंदगी भी उठानी पड़ी या यूं कहें कि जिल्लत झेलनी पड़ी। इन सौ दिनों के दौरान कई मौकों पर उन्हें विश्व बिरादरी की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। इसमें कुछ में तो भारत भी शामिल रहा। अपनी नाराजगी के सभी मुद्दों पर भारत दो टूक होकर अमेरिकी राष्ट्रपति के समक्ष अपनी बात रखेगा। ऐसा करने का मौका भी उसको जल्द ही मिलेगा। लेकिन इन सभी के बीच आइए जानते हैं कि आखिर कौन से मुद्दों पर अमेरिकी राष्ट्रपति को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी
ट्रेवल बैन
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए ट्रेवल बैन को लेकर जहां वह सुर्खियों में बने रहे वहीं उन्हें कई देशों की नाराजगी का भी शिकार होना पड़ा। खुद अमेरिका में ही इस फैसले के खिलाफ जबरदस्त रोष दिखाई दिया। सऊदी अरब और ईरान ने भी इसके खिलाफ जबरदस्त प्रतिक्रिया दी। इतना ही नहीं अमेरिका की कोर्ट ने इस फैसले को गलत बताते हुए इसको लागू करने पर रोक तक लगा दी, जिसकी वजह से उन्हें अपने पहले सौ दिनों के दौरान ही काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी।
एच 1 बी वीजा
एच 1 बी वीजा नियमों में बदलाव को लेकर लिए गए फैसलों से ट्रंप भारत के निशाने पर भी आ गए। दरअसल, एच 1 बी वीजा पाने वालों में भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की तादाद काफी है। लेकिन इसके लिए नियमों में बदलाव और सख्ती के बाद न सिर्फ भारतीयों आईटी प्रोफेेशनल्स के भविष्य पर सवाल उठ खडे हुए बल्कि उनके रोजगार पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस बारे में भारत द्वारा सीधेतौर पर ट्रंप को चेताया गया कि उनका यह फैसला गलत है। खुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत में भी अमेरिका की कई कंपनियां काम करती हैं और अमेरिका में भारतीय कंपनियों ने कई अमेरिकियों को नौकरियां प्रदान की हैं। लिहाजा इस फैसले का असर न सिर्फ भारत बल्कि अमेरिका पर भी पड़ेगा।
ओबामाकेयर
स्वस्थ क्षेत्र में पूर्व की सरकार द्वारा लागू किए गए ओबामाकेयर को रद करने का फैसला डोनाल्ड ट्रंप अपने चुनाव प्रचार के समय से ही कर चुके थे। अपनी चुनावी सभाओं में भी उन्होंने कई बार इस फैसले को गलत बताते हुए इसको रद करने की बात कही थी। लिहाजा अपने सौ दिन में शासन में उन्होंने इसको रद भी किया लेकिन सांसदों द्वारा साथ न देने के चलते उन्हें इससे पीछे हटना पड़ा। यह तीसरा ऐसा फैसला था जिसके लिए उन्हें शर्मिंदगी उठानी पड़ी। इससे खफा ट्रंप ने डेमोक्रेट सांसदों को आड़े हाथों भी लिया था।
सीरिया में हवाई हमला
सीरिया में हुए केमिकल अटैक के बाद अमेरिकी सेना द्वारा सीरिया के आर्मी एयरपोर्ट और तेल डिपो को निशानाबनाया गया था। इसको लेकर रूस और अमेरिका आमने सामने आ गए थे। रूस का कहना था कि यह हमला अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है। रूस ने इस हमले के बाद उस संधि को भी निलंबित कर दिया था जिसके तहत सीरिया के अासमान में दोनों देशों के लड़ाकू विमानों के आमने सामने आने पर गलतफहमी दूर करने की बात कही गई थी। यह संधि इस बाबत थी कि दोनों देशों के लड़ाकू विमान एक दूसरे को निशाना न बनाए।
नॉर्थ कोरिया से तनाव
पिछले काफी समय से अमेरिका और नॉर्थ कोरिया तनाव बरकरार है। ओबामा के समय पर यह इतना चरम पर नहीं था जितना अब है। ट्रंप के आदेश के बाद नॉर्थ कोरिया को रोकने के लिए जहां वहां पर अमेरिकी युद्धपोत को तैनात किया गया है वहीं अत्याधुनिक सबमरीन के साथ साथ सबसे घातक मिसाइल थाड को भी दक्षिण अमेरिका में तैनात किया गया है। इसको लेकर भी ट्रंप कई देशों के निशाने पर हैं। चीन खुलेतौर पर इस फैसले का विरोध कर चुका है। वहीं रूस भी कमोबेश इस फैसले के खिलाफ है। रूस ने साफ कर दिया है कि वह नॉर्थ कोरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का समर्थन नहीं करेगा। उसने इसको स्वीकार न करने वाला फैसला बताया है।
साउथ चाइना सी पर तनाव
नॉर्थ कोरिया के साथ-साथ अमेरिका और चीन में साउथ चाइना सी को भी लेकर टकराव चरम पर है। एक ओर जहां चीन इस क्षेत्र पर अपना अधिकार बताता रहा है वहीं अमेरिका इस दावे को नकारता रहा है। अमेरिका और चीन की तरफ से बारबार एक दूसरे को चेतावनी भी दी जाती रही हैं। यहां तक की अमेरिका ने इस क्षेत्र में भी अपने युद्धपोत भेजने से परहेज नहीं किया था, जिसके चीन ने सीधेतौर पर उसको धमकी दे डाली थी। इस क्षेत्र में अमेरिका चीन के घुर विरोधी देशों के साथ खड़ा है।
वन चाइना पॉलिसी
वन चाइना पॉलिसी की डोनाल्ड ट्रंप शुरू से ही आलोचना करते रहे हैं। उनका कहना है कि कोई भी संधि एकतरफा नहीं चल सकती है, लिहाजा उन्होंने भी चीन में व्यापार करने को लेकर इसी तरह की संधि करने की बात कही है। लेकिन चीन इसके लिए राजी नहीं है। चीन ने इस मुद्दे पर ट्रंप को धमकी दी है कि वह इसको रद करने की भूल न करें। वहीं ट्रंप इस संधि के लिए पूर्व की सरकारों को दोषी ठहराते हैं।
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