मुस्लिम बहुल इस देश से गायब हो गए दो लाख हिंदू और सिख
मुस्लिम बहुल अफगानिस्तान में बीते 24 साल में इन समुदायों की आबादी में दो लाख से ज्यादा की कमी आई है। अब हिंदुओं और सिखों के 220 से भी कम परिवार बचे हैं।
काबुल, रायटर। सदियों से अफगानिस्तान के व्यापार में हिन्दुओं और सिखों ने अहम भूमिका अदा की है। कभी वे इस देश में फल-फूल रहे थे। लेकिन, आज आतंकवाद और हिंसा के कारण अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं। मुस्लिम बहुल इस देश में बीते 24 साल में इन समुदायों की आबादी में दो लाख से ज्यादा की कमी आई है। अब हिंदुओं और सिखों के 220 से भी कम परिवार बचे हैं। 2001 में तालिबान को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद अल्पसंख्यकों को धार्मिक स्वतंत्रता दी गई थी। लेकिन, यह स्थिति कागजों पर ही है। बचे हुए हिंदुओं और सिखों को धर्म बदलने या घर छोड़ भागने के लिए हर रोज मजबूर किया जाता है।
पिछले सप्ताह दर्जनों हिंदू और सिख परिवार हेलमंद से बेदखल कर दिए गए। यहां तालिबान का वर्चस्व है। तालिबान ने इन परिवारों से प्रतिमाह 28 सौ डॉलर (करीब 1.90 लाख रुपये) रंगदारी मांगी थी। इस महीने की शुरुआत में राजधानी काबुल में दिनदहाड़े जगतार सिंह लघमानी को इस्लाम कुबूल करने के लिए धमकाया गया था। उन्होंने बताया कि वे अपनी आयुर्वेदिक दूकान पर बैठे थे तभी एक आदमी आया। उसने चाकू निकाला और जगतार से कहा कि इस्लाम कुबूल करो वरना गर्दन काट दी जाएगी। आसपास के लोगों और अन्य दुकानदारों ने जगतार की जान बचाई।
जगतार ने बताया, 'हमलोग दिन की शुरुआत भय और अलगाव से करते हैं। यदि आप मुस्लिम नहीं हैं तो इनकी नजरों में आप इंसान नहीं हैं। मुझे नहीं पता कि क्या करूं और कहां जाऊं।' नेशनल काउंसिल ऑफ हिंदू एंड सिख के चेयरमैन अवतार सिंह ने बताया कि अब यहां 220 से भी कम हिन्दू और सिख परिवार बचे हैं। 1992 में 2,20,000 हिन्दू-सिख रहते थे। पहले पूरे अफगानिस्तान में हिन्दू और सिख फैले हुए थे। अब यह समुदाय मुख्य रूप से पूर्वी प्रांतों नांगरहार, गजनी और काबुल तक सीमित है।
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उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यकों पर इस्लामिक कानून थोप दिए गए हैं। लोगों को सरेआम फांसी दी जाती है और लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंदी है। सिखों के अनुसार स्थानीय मुसलमान उनसे दुश्मनों की तरह व्यवहार करते हैं। बिना पुलिस सुरक्षा के समुदाय के लोग अंत्येष्टि नहीं कर पाते। अवतार सिंह ने बताया कि जब वे शवों को जलाते हैं तो स्थानीय मुस्लिम ईंट और पत्थर फेंकने लगते हैं।
हम लोग संकट में हैं
हमारी जमीन सरकार के सिपहसालारों ने ले ली। हमलोग संकट में हैं। हमारा समुदाय हर दिन छोटा हो रहा है।
-अवतार सिंह, चेयरमैन, नेशनल काउंसिल ऑफ हिंदू एंड सिख
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