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    बलूचिस्तान में भारत ने दखल दिया तो चुप नहीं बैठेगा चीन- चीनी थिंक टैंक

    By kishor joshiEdited By:
    Updated: Mon, 29 Aug 2016 03:02 PM (IST)

    पीएम मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र करना अब चीन को भी अखर रहा है।

    बीजिंग (आईएएनएस)। एक चीनी थिंक टैंक ने भारत को चेतावनी दी है कि यदि भारत के किसी 'षड्यंत्र' ने बलूचिस्तान में 46 अरब डालर लागत की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना को बाधित किया तो फिर चीन को 'मामले में दखल देना पड़ेगा।'

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    स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बलूचिस्तान का जिक्र करना चीन और उसके विद्वानों के लिए ‘ताजा चिंता’ का विषय बन गया है। चीन इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेपरेरी इंटरनेशनल रिलेशंस (सीआईसीआईआर) में इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एंड साउथईस्ट एशियन एंड ओशनियन स्टडीज के डायरेक्टर हू शिशेंग ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है।

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    चीन के रक्षा मंत्रालय से संबद्ध इस प्रभावी थिंकटैंक के रिसर्चर ने यह भी कहा कि भारत का अमेरिका से बढ़ता सैन्य संबंध और दक्षिण चीन सागर पर इसके रुख में बदलाव चीन के लिए खतरे की घंटी है। हू ने कहा, "चीन के लिए चिंता का सबसे हालिया कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाल किले से दिया गया भाषण है, जिसमें उन्होंने कश्मीर (पाकिस्तान के कब्जे वाला) और बलूचिस्तान जैसे मुद्दों का जिक्र किया। इसे पाकिस्तान के प्रति भारत की नीति का निर्णायक क्षण कहा जा सकता है। चीनी थिंक टैंक इसलिए चिंतित हैं क्योंकि भारत ने पहली बार इनका जिक्र किया है।”

    हू ने कहा कि “चीन को डर है कि भारत पाकिस्तान स्थित बलूचिस्तान में ‘सरकार विरोधी’ तत्वों को हवा दे सकता है, जहां चीन अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना सीपीईसी में 46 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है। भारत वही तरीका अपना सकता है जो उसके हिसाब से पाकिस्तान, भारत के मामलों में अपना रहा है।” बलूचिस्तान, गिलगित-बाल्टिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में अलगाववादियों का साथ देने के कथित आरोप के संदर्भ में उन्होंने कहा "ऐसा कोई षड्यंत्र अगर सीपीईसी को नुकसान पहुंचाएगा तो फिर चीन को दखल देना पड़ेगा।"

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    सीपीईसी के जरिए चीन का सबसे बड़ा राज्य, जिनजियांग बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह से जुड़ जाएगा। इस क्षेत्र में विद्रोहियों और अलगाववादियों का वर्चस्व है। भारत ने इस कॉरिडोर का विरोध किया है क्योंकि यह गिलगित-बाल्टिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है, जिस पर भारत अपना दावा करता है।

    पाकिस्तान लंबे समय से कहता रहा है कि बलूचिस्तान की अशांति के पीछे भारत का हाथ है। भारत इससे इनकार करता रहा है। लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि अब मोदी द्वारा भाषण में इस इलाके के उल्लेख से पाकिस्तान को संकेत दिया गया है कि जम्मू एवं कश्मीर में आतंकियों को समर्थन देने पर उसे उसी की भाषा में जवाब मिलेगा।

    हू ने कहा "इससे पाकिस्तान को एक सहज-सामान्य स्थिति वापस पाने में दिक्कत होगी और इससे भारत-चीन के संबंध प्रभावित होंगे। भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग भी चीन के लिए चिंता की वजह बन रहा है। पहले चीन को इससे फर्क नहीं पड़ता था कि भारत का किससे रक्षा सहयोग है, खासकर अमेरिका के संदर्भ में। लेकिन, अब चीन में इसे लेकर चिंता महसूस की जा रही है।"

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    उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान भारत और अमेरिका के रिश्तों में बेहद मजबूती आई है। उन्होंने एश्टन कार्टन की अप्रैल में हुई भारत यात्रा का भी उल्लेख किया जिसमें भारत और अमेरिका ने रक्षा जैसे एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने पर सहमति व्यक्त की थी।