Move to Jagran APP

अमेरिकी सीनेट ने दिया भारत को झटका, नहीं मिलेगा 'विशेष सहयोगी' का दर्जा

अमेरिकी सीनेट में वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका है जिसके द्वारा भारत को अमेरिका का वैश्विक रणनीतिक और रक्षा सहयोगी का दर्जा प्राप्त हो जाता।

By kishor joshiEdited By: Published: Wed, 15 Jun 2016 02:20 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jun 2016 02:57 PM (IST)
अमेरिकी सीनेट ने दिया भारत को झटका, नहीं मिलेगा 'विशेष सहयोगी' का दर्जा

वाशिंगटन (पीटीआई)। भारत को अमेरिका का वैश्विक रणनीतिक और रक्षा सहयोगी का दर्जा देने वाला प्रस्ताव अमेरिकी सीनेट में पारित होने में असफल रहा है। यह तब हुआ जब अमेरीका द्वारा अपने निर्यात नियंत्रण नियमों में संशोधन हेतु लाया गया एक महत्वपूर्ण संशोधन पारित नहीं हो पाया।

loksabha election banner

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया था, जिसके बाद अमेरिका के प्रमुख सीनेटर जॉन मैक्केन द्वारा राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार अधिनियम (एनडीडीए -17) में संशोधन का प्रस्ताव लाया गया था। यदि यह प्रस्ताव पारित हो जाता तो भारत को अमेरिका का एक वैश्विक रणनीतिक और रक्षा सहयोगी का दर्जा प्राप्त हो जाता।

पढ़ें- भारत को रणनीतिक, रक्षा सहयोगी का दर्जा दिलाने को सीनेट में प्रस्ताव

पीएम की अमेरिका यात्रा के दौरान मोदी और बराक ओबामा द्वारा दिए गए एक सयुंक्त वक्तव्य में अमेरिका ने भारत को एक "प्रमुख रक्षा सहयोगी" का दर्जा देने का जिक्र किया गया था। जिसके तहत रक्षा संबंधी व्यापार और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग करना था। एनडीडीए -17 को यूएस सीनेट द्वारा भारी बहुमत से पारित कर दिया गया था जिसके पक्ष में 85 और विपक्ष में 13 वोट पड़े थे। लेकिन द्विदलीय समर्थन सहित कुछ प्रमुख संशोधनों (एसए 4618) को सीनेट की मंजूरी नहीं मिल सकी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीनेटर मैक्केन ने निराशा जताते हुए कहा, "मुझे अफसोस है कि सीनेट में हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण मामलों पर बहस और वोटिंग नहीं हो सकी।"

मैक्केन द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव में कहा गया था कि, सीनेट के संशोधन 4618 के पीछे कांग्रेस की भावना है कि दोनों देश (भारत और अमेरिका) सुरक्षा खतरों का सामना कर रहे हैं और संबंधों का मजबूत होना दोनों के हित में है। प्रस्ताव के मुताबिक भारत को वैश्विक सहयोगी के रूप में भी मान्यता देना अनिवार्य था। इस प्रस्ताव के जरिए राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया था कि वह भारत-अमेरिका रक्षा तकनीक की प्रभावशीलता और रक्षा विभाग के इंडिया रैपिड रिएक्शन सेल की स्थिरता बढ़ाने के लिए प्रयास करें।

पढ़ें- भारत के साथ रक्षा संबंध बढ़ाएगा अमेरिका, सीनेट में विधायी संशोधन पेश


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.