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    बलूचिस्तान में पाक के जुल्म के खिलाफ जर्मनी के ब्रीमेन में प्रदर्शन

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Mon, 14 Nov 2016 10:15 AM (IST)

    बलूचिस्तान में पाकिस्तान के जुल्म के खिलाफ बलूची कार्यकर्ताओं ने जर्मनी में विरोध-मार्च निकाला।

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    बर्लिन(एएनआई)। पाक सरकार के खिलाफ बलूची लोग पूरी तरह से मुखर हो चुके हैं। जर्मनी के शहर ब्रीमेन में हजारों की संख्या में बलूच कार्यकर्ताओं ने पाक सरकार के खिलाफ नारे लगाए। कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान की सेना को आतंकी सेना करार दिया। बलूच नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कहा कि पाक सरकार प्रायोजित हिंसा के जरिए बलूचियों को कुचल रही है।

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    सीपीइसी के विरोध में बलूची

    इससे पहले कल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आज पाकिस्तान- चीन आर्थिक गलियारे का उद्घाटन कर दिया। बलूच नेता हम्मल हैदर ने कहा कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का किसी भी कीमत पर बलूचिस्तान विरोध करेगा क्योंकि ये उनके लिए जीवन मृत्यु का मामला है।

    हम्मल हैदर का ये भी कहना है कि वो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और पाकिस्तानी सेना को सीधा संदेश देना चाहते हैं कि बलूचिस्तान सिर्फ बलूचियों का हिस्सा है पाकिस्तान का नहीं।

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    इसके साथ ही एक्टिविस्ट जवाद बलोच ने भी इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि नवाज शरीफ ने जिस बंदरगाह का उद्घाटन किया है वो बलूचियों के खून से बनाया जा रहा है। बलूची इसके विरोध थे और हमेशा रहेंगे।

    पाकिस्तान में सीपीईसी का विरोध नया नहीं है बलूचिस्तान के साथ साथ पीओके पर भी इसका विरोध किया जा रहा है। हाल के महीनों में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के गिलगित-बाल्टिस्तान में सीपीईसी के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिले।

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    गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों का कहना है कि सीपीईसी के जरिए उनके क्षेत्र के जल संसाधनों का दोहन किया जाएगा, जिसका फायदा सिर्फ पाकिस्तान को ही होगा। स्थानीय जनता को मायूसी झेलनी पड़ेगी। इसके अलावा ये लोग इस बात को लेकर भी बेहद चिंतित हैं कि सीपीईसी से क्षेत्र में चीन का वर्चस्व बढे़गा। गिलगित-बाल्टिस्तान का नेतृत्व भी इस विवादित गलियारे का विरोध कर रहा है।

    आखिर सीपीईसी है क्या?

    चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा...ये एक बहुत बड़ी वाणिज्यिक परियोजना है जिसका उद्देश्य दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान से चीन के उत्तर-पश्चिमी स्वायत्त क्षेत्र शिंजियांग तक ग्वादर बंदरगाह, रेलवे और हाइवे के माध्यम से तेल और गैस की कम समय में वितरण करना है।

    आर्थिक गलियारा चीन-पाक संबंधों में केंद्रीय महत्व रखता है, गलियारा ग्वादर से काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लंबा है। यह योजना संपूर्ण होने में कई साल लगेंगे इस पर कुल 46 बिलियन डॉलर लागत का अंदाजा लगाया गया है।

    भारत भी कर रहा है विरोध

    भारत भी इस गलियारे के निर्माण को गैर-कानूनी मानता है क्योंकि यह पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित है, और भारत इस इलाके को अपना हिस्सा मानता है।

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