अमेरिका में 500 मिलियन लोगों पर जीका वायरस का खतरा
विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका में 500 मिलियन लोगों को जीका वायरस से खतरा है। मध्य अमेरिका से लेकर लैटिन अमेरिका के लोगों पर इस वायरस का खतरा है।
वाशिंगटन, (पीटीआई)। अमेरिका में करीब 500 मिलियन लोग जीका वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। पैन अमेरिकी स्वास्थ्य संगठन में जीका वायरस के मैनेजर सिल्वन अल्दीगिरी का कहना है कि जीका वायरस का प्रभाव उन देशों में ज्यादा है जहां पिछले 15 सालों में डेंगू और चिकनगुनिया के मामले सामने आए हैं। इसका मतलब हम मध्य अमेरिका से लैटिन अमेरिका और नॉर्थ अर्जेंटीना और कैरिबियन देशों में जीका वायरस के प्रकोप की ज्यादा संभावनाएं मानकर चल रहे हैं।
अब तक अमेरिका के 37 देशों और प्रदेशों में जीका वायरस का प्रभाव देखा गया है। जिनमें से ब्राजील समेत पांच देशों में माइक्रोसेफली का प्रभाव देखा गया है। जिसके कारण दिमाग क्षतिग्रस्त हो जाता है और गर्भावस्था के दौरान शिशुओं में एक असामान्य रूप से छोटे सिर हो जाता है।
एलर्जी और संक्रामक रोगों के अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट के निदेशक एंथनी फौकी ने कहा है कि हमारी संस्था सितंबर में जीका वायरस पर क्लिनिकल ट्रायल पर काम कर रही है।
कैसे फैलता है जीका वायरस
जीका वायरस एडीज मच्छर के काटने से फैलता है जो साफ पानी में पनपता है और दिन के उजाले में काटता है। अमेरिका में यह मच्छतर ज्यादातर पाया जाता है। इसके अलावा एशियन टाइगर मच्छर के काटने से भी यह वायरस फैलता है। हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि इस मच्छर के काटने से यह वायरस कितना तेजी से फैलता है। इसके अलावा कुछ रिपोर्टस के मुताबिक ब्लड ट्रांसफ्यूजन और सेक्स करने से भी यह वायरस फैलता है। इसकी वजह है कि जांच के दौरान एक मरीज के वीर्य में इसका वायरस पाया गया है। रिपोर्टस के मुताबिक इसका पता लगना इतना आसान नहीं है। लगभग पांच में एक व्यक्ति इस वायरस की चपेट में आता है।
क्या हैं इस बीमार के लक्षण :-
- इस बीमारी से सबसे ज़्यादा ख़तरा गर्भवती महिलाओं को है, क्योंकि इसके वायरस से नवजात शिशुओं को माइक्रोसिफ़ेली होने का ख़तरा है।
- आंखों का लाल होना, जोड़ों में दर्द होना भी इसका एक लक्षण हैं।
- इसमें बच्चों के मस्तिष्क का पूरा विकास नहीं हो पाता और उनका सिर सामान्य से छोटा रह जाता है।
- बच्चों और बड़ों में इसके लक्षण लगभग एक ही जैसे होते हैं, जैसे बुखार, शरीर में दर्द, आंखों में सूजन, जोड़ों का दर्द और शरीर पर रैशेस हो जाते हैं।
- कम मामलों में यह बीमारी नर्वस सिस्टम को ऐसे डिसऑर्डर में बदल सकती है, जिससे पैरलिसिस भी हो सकता है।
क्या है इस वायरस का इतिहास:-
यह वायरस सबसे पहले यूगांडा के जीका जंगलों के बंदरों में वर्ष 1947 में पाया गया। इसके बाद ही इसका नाम जीका वायरस पड़ा था। 1954 में पहली बार किसी इंसान के अंदर ये वायरस देखा गया। 2007 में माइक्रोनेशिया के एक द्वीप याप में इस वायरस ने बड़ी तेज़ी से पैर पसारे और फिर यह वायरस कैरीबियाई देशों और लेटिन अमेरिका के देशों में फैल गया।