जीका के टीके पर उठने लगे सवाल
एक भारतीय बायोटेक कंपनी के घातक जीका वायरस का टीका तैयार कर लेने के दावे पर कुछ वायरोलॉजिस्ट ने चेताया है। आइसीएमआर की महानिदेशक सौम्या स्वामीनाथन ने सोमवार को बताया कि कंपनी ने निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया। हमने वायरस का आयात नहीं कराया।
बेंगलुरु। एक भारतीय बायोटेक कंपनी के घातक जीका वायरस का टीका तैयार कर लेने के दावे पर कुछ वायरोलॉजिस्ट ने चेताया है। आइसीएमआर की महानिदेशक सौम्या स्वामीनाथन ने सोमवार को बताया कि कंपनी ने निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया। हमने वायरस का आयात नहीं कराया। भारत बायोटेक ने इसे स्वत: ही हासिल किया है। जीका वायरस वैक्सीन अब सुरक्षा को लेकर चिंता का विषय है लिहाजा, इससे जुड़े सभी नियमों का पालन होना आवश्यक है।
प्रख्यात वायरोलॉजिस्ट व पुणो स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के पूर्व निदेशक कल्याण बनर्जी ने कहा कि वैक्सीन का दावा करने वाली कंपनी के प्रवक्ता और ना ही मालिक ने यह स्पष्ट किया कि जीका का वायरस उन्हें कहां से मिला। यह बहुत ही गंभीर सवाल है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर किसी को भी घातक वायरस का देश में आयात करने की इजाजत नहीं है। केवल भारत सरकार का बायोटेक्नोलॉजी बोर्ड या उसके समकक्ष कोई संस्था ही ऐसा कदम उठा सकती है। यह जानकर बहुत ही आश्चर्य हुआ कि लैब के पास जीवित जीका वायरस है। वह भी तब जब भारतीय उप महाद्वीप में अब तक इसके संक्रमण की कोई सूचना नहीं है।
बनर्जी ने कहा कि जीका वायरस का संक्रमण मच्छर की जिस प्रजाति एडेस एजिप्टी से होता है, वह मच्छर ही भारत में पाया नहीं जाता। लिहाजा, कंपनी को वायरस मिलने और उसकी वैक्सीन बनाने की गहन जांच होनी चाहिए। बनर्जी ने कहा कि ऐसे घातक तत्वों के आयात से भारत में राष्ट्रीय आपदा की स्थिति आ सकती है। सख्त निगरानी का ही नतीजा था कि एडेस मच्छर से ही होने वाले येलो फीवर का संक्रमण कभी भारत में नहीं हो सका।
वहीं, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की प्रख्यात वायरोलॉजिस्ट दुर्गा राव ने कहा कि कोई भी केवल आइसीएमआर या बायोटेक विभाग की मंजूरी से ही किसी घातक वायरस का आयात कर सकता है। लेकिन अवैध तरीके से भारत में वायरस लाना एक गंभीर कानून उल्लंघन है।
गौरतलब है कि हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक के प्रबंध निदेशक कृष्णा इला ने पिछले हफ्ते उनकी कंपनी के जीका वायरस का वैकसीन बनाने के पहले ग्लोबल पेटेंट की घोषणा की थी। जीका के संक्रमण से नवजात और अजन्म शिशुओं के मस्तिष्क का विकास नहीं हो पाता। कंपनी का दावा था कि सजीव जीका वायरस पर एक साल से काम करते हुए उन्हें वैक्सीन बनाने में सफलता मिली है। दरअसल, जीका वायरस का पहला रोगी पिछले साल ब्राजील में मई के महीने में पाया गया था। जबकि भारत बायोटेक ने 2014 की शुरूआत में ही वैक्सीन पर काम करना शुरू करने का दावा किया है। जुलाई 2015 में दो वैक्सीन के पेटेंट का आवेदन करने का दावा किया है।