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    सीता जी के कठोर तप से प्रकट हुईं मां तपेश्वरी, आशीर्वाद से जन्में लव- कुश

    By Ashish MishraEdited By:
    Updated: Tue, 04 Oct 2016 03:17 PM (IST)

    सीता जी के कठोर तप से ही तपेश्वरी माता का प्राकट्य हुआ था। मां के आशीर्वाद से लव- कुश का जन्म हुआ। इसके बाद सीता जी ने मां के समक्ष ही दोनों पुत्रों का मुंडन कराया था।

    कानपुर (जेएनएन)। बिरहाना रोड में स्थापित तपेश्वरी माता मंदिर भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक है। मां तपेश्वरी सभी की मनोकामना पूरी करती हैं। आज जहां पहले मंदिर स्थापित है वहां पहले कभी जंगल था और मां गंगा भी वहीं से बहा करती थीं। इसी घने जंगल में माता सीता ने पूजन किया था।जब लंका पर विजय के बाद भगवान राम अयोध्या पहुंचे तो धोबी के ताना मारने पर मां सीता को उन्होंने त्याग दिया था। प्रभु के आदेश पर लक्ष्मण जी सीता जी को लेकर ब्रहावर्त स्थित वाल्मीकि आश्रम के पास छोड़ गए। सीता जी गंगा के किनारे होते हुए घने जंगल में पहुंचीं।

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    सीता जी ने तब यहां पुत्र की कामना के लिए तप किया था। सीता जी के कठोर तप से ही तपेश्वरी माता का प्राकट्य हुआ था। मां के आशीर्वाद से लव- कुश का जन्म हुआ। इसके बाद सीता जी ने मां के समक्ष ही दोनों पुत्रों का मुंडन कराया था। नागर शैली के इस मंदिर में मां की अति प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। मां भक्तों को विविध रूपों में दर्शन देती हैं। यहां शेर की प्रतिमा स्थापित है। भक्त शेर का पूजन करते हैं और त्रिशूल में मन्नत का धागा बांधते हैं।मां तपेश्वरी के दरबार में आने वाला कभी खाली हाथ नहीं जाता। भगवती सबकी कामना पूरी करती हैं। जिसने जो मांगा मां ने उसे दिया। इसलिए भक्तों की आस्था मां पर टिकी हुई है।

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    शिवमंगल, मुख्य पुजारी - मां की महिमा अपरंपार है। मां का दर्शन पूजन करने से मां की कामना पूरी हो जाती है। निराश होकर नहीं गया। मां बड़ी ही कृपालु हैं। मंदिर में भक्तों के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है।मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो भी भक्त यहां अखंड ज्योति जलाते हैं भगवती उनकी मनोकामना पूरी करती हैं। यहां उन्नाव, हमीरपुर, लखनऊ, रायबरेली, फरुखाबाद आदि जिलों से श्रद्धालु आते हैं और मां तपेश्वरी का पूजन करते हैं। मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाते हैं। बच्चों का यहां मुंडन भी होता है। यहां भक्त मां को पालक, भिंडी, तरोई आदि हरी सब्जियों का भोग भी लगाते हैं।

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    ऐसे पहुंचे मंदिर- सेंट्रल स्टेशन से घंटाघर, नयागंज होते हुए बिरहाना रोड स्थित मंदिर पहुंचें। घंटाघर से एक्सप्रेस रोड होते हुए बिरहाना रोड स्थित मंदिर के पहुंचा जा सकता है। रावतपुर से बड़ा चौराहा, मालरोड होते हुए भी मंदिर पहुंच सकते हैं। किदवई नगर की ओर से आने वाले लोग टाटमिल, घंटाघर होते हुए नयागंज के रास्ते मंदिर पहुंच सकते हैं।अखंड ज्योति जलाते भक्त1मनोकामना पूरी करने के लिए भक्त मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाते हैं और जब उनकी कामना पूरी हो जाती है तो भी वे अखंड ज्योति जलाते हैं। नवरात्र के दिन यहां से अखंड ज्योति जलाकर लोग अपने घरों में ले जाते हैं। मान्यता है कि मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाने वालों की कामना अवश्य पूरी होती है।