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    पहले से था अंदाजा कि इस बार मिलेंगे कम पदक

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    Updated: Wed, 06 Aug 2014 04:08 PM (IST)

    इस बात का अंदाजा तो पहले से ही था कि ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में दिल्ली से कम पदक मिलेंगे और हुआ भी वही। भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) ने जून में जारी रिपोर्ट में 77 से

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। इस बात का अंदाजा तो पहले से ही था कि ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में दिल्ली से कम पदक मिलेंगे और हुआ भी वही। भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) ने जून में जारी रिपोर्ट में 77 से 96 पदक जीतने की उम्मीद जताई थी, लेकिन ग्लास्गो में उससे भी कम 64 पदक मिले। यहां भारत पिछले संस्करण की सफलता को नहीं दोहरा सका। 2010 दिल्ली में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए भारत ने 101 पदक जीते थे और तालिका में दूसरे नंबर पर रहा था, लेकिन इस बार हम पांचवें नंबर पर रहे।

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    इससे पहले 2002 में मैनचेस्टर भारत के सबसे सफल खेल रहे थे। तब भारतीय टीम ने 30 स्वर्ण पदकों सहित कुल 69 पदक हासिल किए थे और पहली बार 50 से अधिक पदक जीते थे। इस बार भारत 15 स्वर्ण ही जीत सका।

    कई खेलों के हटने से हुआ नुकसान :

    इस बार यदि तीरंदाजी, ग्रीकोरोमन कुश्ती और टेनिस को न हटाया गया होता तो भारत के खाते में कुछ और पदक बढ़ने तय थे। इसके अलावा निशानेबाजी और कुश्ती में भी कुछ खिलाड़ियों से गलतियां हुई जिससे हम हम पदक से वंचित रह गए या स्वर्ण से चूक गए। ग्लास्गो में निशानेबाजी की 18 स्पर्धाओं को भी शामिल नहीं किया गया। सुशील कुमार की अगुआई में भारतीय पहलवानों ने भारत को सर्वाधिक 13 पदक दिलाए।

    भारोत्तोलक बढ़े पर हॉकी टीम अटकी :

    भारतीय भारोत्तोलकों ने भी शानदार प्रदर्शन किया और तीन स्वर्ण सहित 12 पदक दिलाए, तो भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने लगातार दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया के साथ फाइनल मुकाबला खेला। मुक्केबाजी में थोड़ी निराशा जरूर हुई। फाइनल में पहुंचे चार मुक्केबाजों में कोई भी स्वर्ण पदक हासिल नहीं कर सका।

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