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    सिगरेट पीने वाला कछुआ

    By Edited By:
    Updated: Wed, 14 Aug 2013 03:30 PM (IST)

    आदमी तो आदमी अब तो जानवर भी सिगरेट पीने लगे हैं! क्या? पहले कभी सुना नहीं? जनाब, हमने भी तो आपको अब तक बताया नहीं है। ये मत सोचिए कि इंसानों को सिगरेट ...और पढ़ें

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    आदमी तो आदमी अब तो जानवर भी सिगरेट पीने लगे हैं! क्या? पहले कभी सुना नहीं? जनाब, हमने भी तो आपको अब तक बताया नहीं है। ये मत सोचिए कि इंसानों को सिगरेट के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए सिगरेट कंपनियों ने जानवरों के लिए सिगरेट बनाना शुरू कर दिया है। ऐसा भी नहीं है कि अपने ब्रांड के प्रमोशन के लिए किसी कंपनी ने जानवरों को सिगरेट पिलाया हो। इस जानवर के सिगरेट पीने का कारण कुछ और ही है। कुछ और क्या, इंसानों की तरह इस जानवर ने भी अपना गम भुलाने के लिए सिगरेट पीना शुरू किया था।

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    अब हालत यह है कि पूरे दिन में यह कम से कम 10 सिगरेट तो पी ही जाता है। यहां तक कि अगर सिगरेट न मिले तो शोर मचाता है। इसका मालिक बेचारा इसकी इस आदत से परेशान है, पर करे तो क्या करे, नशे की लत है ही ऐसी चीज, एक बार लगी तो छूटनी मुश्किल हो जाती है। अब जानवरों के लिए कोई नशा मुक्ति केंद्र तो है नहीं कि इसे वहां ले जाया जाए।

    चीन के एक गांव चैंगचुन में एक कछुआ है जिसे दिन में कम से कम 10 सिगरेट जरूर चाहिए। अगर उसे सिगरेट न मिले वह हिस्स की आवाज करते हुए शोर मचाने लगता है। इस कछुए का मालिक तांग कछुए की इस आदत से परेशान है और लोगों से अपील की है कि अगर इसकी यह आदत छुड़ाने का कोई उपाय हो, तो बताएं। आप जानना चाहेंगे कि कछुए को यह लत लगी कैसे! हां जी, इसकी कहानी वास्तव में बहुत मनोरंजक है।

    दरअसल कुछ दिनों पहले कछुए के गले में चिकन का एक टुकड़ा अटक गया था। हालांकि तांग को बहुत दिनों तक इसका पता नहीं चला। कुछ दिनों तक गले में कुछ अटके रहने के कारण कछुए को दर्द होने लगा। जब इसने खाना-पीना छोड़ दिया तो तांग ने इसके पसंदीदा खाने में अरुचि की वजह जानने की कोशिश की। तब उन्हें इसके गले में चिकेन का टुकड़ा फंसा होने की बात समझ आई। तांग ने उसके मुंह में अंगुली डालकर इसे निकालने की कोशिश की तो दर्द के कारण कछुआ उनकी अंगुली काटने लगा। तांग उस वक्त सिगरेट पी रहे थे। कछुए का ध्यान भटकाने के लिए उन्होंने उसके मुंह में सिगरेट का जला हुआ टुकड़ा फंसा दिया। कछुए का ध्यान भी भटका और तांग उसके गले में फंसे उस टुकड़े को निकालने में भी कामयाब रहे। लेकिन भूलवश वे कछुए के मुंह से सिगरेट निकालना भूल गए।

    उस दिन तो बात आई-गई हो गई, लेकिन दूसरे दिन से कछुए में बदलाव आ गया। तांग को सिगरेट पीते देखकर कछुआ आवाज करने लगा, तो तांग को कुछ समझ नहीं आया। कुछ सोचकर जब तांग ने उसके मुंह में सिगरेट डाला तो वह चुप हो गया। इस तरह यह कछुए की रोज की आदत बन गई। अब जब भी उसे सिगरेट की जरूरत होती है वह हिस्स की आवाज करता है या तांग के पीछे-पीछे घूमता रहता है। इस तरह आज यह पूरे दिन में कम-से-कम 10 सिगरेट पी जाता है।

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