यहां पानी को साक्षी मानकर कर दी जाती है भाई-बहन की शादी
यहां बेटे-बेटियों की शादी में अग्नि को नहीं बल्कि पानी को साक्षी मान कर विवाह रचाया जाता है।
By Babita KashyapEdited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 11:12 AM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2017 09:01 AM (IST)
आदिवासी समाज की अनोखी परंपराओं के बारे में तो हम सब जानते ही हैं। छत्तीसगढ़ में बस्तर की कांगेरघाटी के इर्द-गिर्द बसे हुए धुरवा समाज में ऐसी ही एक अनोखी प्रथा निभायी जाती है। यहां भाई-बहन की आपस में शादी कर दी जाती है।
यहां बेटे-बेटियों की शादी में अग्नि को नहीं बल्कि पानी को साक्षी मान कर विवाह रचाया जाता है। धुरवा समाज में बेटी की शादी उसके ममेरे या फुफेरे भाई-बहन से कर दी जाती है। अगर कोई शादी करने से मना करता है तो उससे जुर्माना भी वसूला जाता है।
यहां लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के की आयु 21 वर्ष होती है। हालांकि अब धीरे-धीरे लोग इस परंपरा को खत्म करने के कोशिश कर रहे हैं।
यह भी पढ़े:
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें